आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है इस निबंध के माध्यम से आज के शोधों और कुछ महत्वपुर्ण व्यक्तियों के द्वारा किये गये अनायास अविष्कारों के संबंध में बताने का प्रयास किया गया है।
आज के समय मे भारत की युवापीढ़ी के काम की पसंदगी के स्थान पर काम की नियत तथा श्रम की महिमा को पहचानना होगा यह जरुरी है। यदि यहां की युवाओं की बात करें तो अमेरिका में डॉलर कमाने के लिए युवक छोटे से छोटा काम करने में नहीं हिचकिचाता लेकिन उसी युवक को यदि यहाँ पर वही काम करना पड़ जाय तो उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। आम में से रस निकालने वाले को आम के पकने की प्रतीक्षा में कच्चे आम को प्राप्त करने का अवसर नहीं खो देना चाहिए। दैनिक जीवन मे भाग्य के भ्रष्टों में ऐसे अनेक उदाहरण दिये गये हैं जिनमें मुश्किलों में से निकलने पर लोगों ने हताश हुए बिना परेशानियों को सफलताओं में बदल डाला है। इस प्रकार उन्होंने अपने असफलताओं के आसार पर सफलता का नई अध्याय जोड़ा है।
आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है ये कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है कि एक नाई ने बाल काटने की कैंची के परम्परागत उपयोग से उबकर कैंची का विकल्प ढूँढना शुरु किया परिणाम स्वरुप उसने बाल काटने की मशीन ढूँढ निकाली इससे वह मालामाल हो गया।
एक आदमी की पत्नी बीमार थी अतः उसे अपने आप कपड़े धोने पड़े। इस मेहनत से वह उब गया और अपना दिमाग लगाकर वॉशिंग मशीन की खोज कर लीं इसी प्रकार एक आदमी के दांतों में दर्द था। उसने सोचा कि दाँतों के बीच में खाली जगह होने के कारण वह पीड़ा से ग्रसित था। इस से छुटकारा पाने के लिए उसने सोंचा यदि दांतों के बीच की खाली जगह भर सके तो सायद पीड़ा कम होने की संभावना थी, उसने दाँत में सोना भरने की पध्दति की खोज कर डाली।
यदि कोई मनुष्य खाली समय का भी उपयोग कर सके तो अपनी जीवन-नौका का सफल कप्तान बन सकता है। नजर मनुष्य को देखने लायक बना सकती है तो दृष्टि मनुष्य को द्रष्टा एवं सृष्टा बना सकती है। उत्पादन के लिए बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों की नहीं बल्कि दृष्टि की आवश्यकता होती है। फैक्ट्रिया ंतो उसके मन और मस्तिष्क की उपज है। एरिक्स नाम के एक व्यक्ति ने अनायास ही बाथरुम में बैठे बैठे स्क्रू ड्रायवर बनाया था। लकड़ी की झोपड़ी में रहने वाले एक व्यक्ति ने लकड़ी से रुई को धुनने की मशीन तैयार कर ली थी। समुद्री यात्रा के लिए दिग्दर्शक यंत्र की शोध करने वाले ने तहखाने की छत पर बैठकर दिन रात काम करके सफलता प्राप्त की थी। इटली में स्थित तरुण डेविड के शानदार बेजोड़ पुतला बनाने वाले मालिक एंजेलो ने फ्लोरेंस के एक मटमैले कोने में पड़े हुए संगमरमर के टुकड़े को उस उत्कृष्ट कलाकृति को तैयार करने में उपयोग में लिया था। जो अद्भूत कारिगरी को प्रदर्शित करता है।
प्रत्येक युवा व परिश्रम प्रेमी मनुष्य को एडवर्ड एवरेट की बात याद रखनी चाहिए कि अब तक जो सत्य अज्ञात हैं, वे सत्य भावी सत्य प्रेमियों के धैर्य व परिश्रम के बदले में देने के लिए गुप्त रखे गये हैं। जिस प्रकार पिछली पीढ़ी की नयी शोधों ने पुरानी शोधों को छलांग लगाकर पीछे छोड़ दिया है, उसी प्रकार आज की शोधों को भावी शोधें पीछे छोड़ देंगीं। आज के शिक्षित मनुष्य को गरीबी भी बादशाहियत से भोगनी पसंद आती है। श्रम करने में उन्हें शर्म आती है। समय के साथ यह होना स्वाभाविक है कि जो आज उपयोगी है हो सकता है आगे ना हो।
आज भी खेत समुद्री किनारे जंगल आदि अपने गोद की बेशुमार सम्पत्ति सौंपने के पसीना बहाने वाले तत्पर युवाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसा कोई भी पेड़ की छाल फल-फूल पत्ते नहीं हैं जिनमें कोई न कोई औषधि बनाने की योग्यता न हो। आयुर्वेद के निष्णत या संशोधक बनने के लिए डिग्री की नहीं बल्कि वनस्पति से मुहब्बत करने की आवश्यकता है।
एक आदमी व्यापारी से कह रहा था मेरा बेटा ग्रेजूएट हो गया है। कोई अच्छा सा काम धंधा हो तो बताना।
डच व्यापारी ने तुरंत ही कहा अपने बेटे को पहले युवा बनना तो सिखाओ। पिता की उंगली पकड़कर चलने की आदत को जब तक वह अपना जन्मसिध्द अधिकार मानेगा तब तक उसकी उम्र तो बढ़ेगी परंतु वह युवा नहीं हो सकेगा।
आज की जीवन शैली मनुष्य को परिश्रमी बनाने के बदले तरंगी और पलायनवादी बना रही है। पहले का आदमी नवसर्जन के लिए बुध्दि का प्रयोग करता था, आज का आदमी नकल के लिए बुध्दि खर्च कर रहा है। यदि किसी प्रसिध्द फिल्मी गीत की गायिका अथवा गायक का गाया हुआ गीत किसी और की वॉयस ऑफ कहलाता है तो वास्तव में ऐसा कहलवाने में उसकी मौलिकता का अपमान है। जिस किसी ने भी सुंदर गीत बिना किसी की नकल किए गाया, वह तो उस गीत गाने वाले की सराहना है। बुध्दिहीन मनुष्य ही दूसरों की नकल करते हैं, मौलिकता को किसी के द्वारा खूंदे हुए मार्ग पर चलने की आदत नहीं होती वह निरंतर अपने लिए मार्ग प्रसस्त करने मे सक्षम होता है। वह स्वयं इस प्रकार का मार्ग बनाने मे सक्षम है जिसका अन्य मनुष्य नकल कर सकें।