उपन्यास मुख्यरुप से दो सब्दो का मेल है उप ़ न्यास जहां इन दोनो का अपना अलग-अलग अर्थ होता है, उप का अर्थ होता है पास और न्यास का अर्थ होता है थाती अब यहां थाती का अर्थ आसान शब्दों मे हम कहें तो ट्रस्ट से है इसे और आसान शब्दों मे कहें तो अमानत जैसा हम मान सकते है,
अब सवाल ये आता है कि अमानत किसे कहें अमानत जैसे उदाहरण के लिए कोई वस्तु हमारे पास है लेकिन वह हमारा नहीं है वह किसी दूसरे की है जीसे हमारे पास किसी ने रखने के लिए दिया है, और इसे समय आने पर हमे उस व्यक्ति को वापस करना होगा।
इस प्रकार से हम थाती का अर्थ लगा सकते हैं। इन सब बातों को ध्यान मे रखते हुए यदि उसका अर्थ निकाला जाए तो ये कहा जा सकता है कि ऐसी रचना जो हमारे समाज का समग्र चित्रण करती है और हमे अपने सामाजिक जिवन के निकट ले जाती है सामान्यतः उपन्यास कहा जाता है।
इसका एक साधारण रुप से उपन्यास का अर्थ यह भी लगाया जा सकता है पास मे रखा हुआ वह काव्य जो जीवन की निकटता को प्रस्तुत करता है, उपन्यास कहलाता है। जिसको पढ़कर पाठक को ऐसा लगता है जैसे यहां उसी के जीवन पर आधारित कोई बात हो रही है।
उपन्यास की विशेषताँए
उपन्यास की विशेषताँए एक प्रकार से उसके चित्रण के उन महत्वपूर्ण बिंदुओं को इसमे लिया जा सकता है जो उसके परिभाषा को स्पष्ट करती हैं जैसे:-
- इसमें सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है।
- इसका क्षेत्र विस्तृत होता है।
- इसमें पात्रों की सख्यां अधिक होती है।
- इसमें मुख्य कथा के साथ प्रषासनिक कथा भी जुड़ी रहती है।
इस प्रकार से इसके और भी बिंदुओं मे इसके विशेषताँओं को लिखा जा सकता है परंतु मुख्यरुप से उपर लिखे चार बिंदु महत्वपूर्ण हैं।
उपन्यास के तत्व
उपन्यास के आवश्यक तत्व के रुप मे मुख्यरुप से इसे छः बिंदुओं मे लिखा जा सकता है जो निम्न है:-
- कथावस्तु
- सवांदयोजना
- पात्र अथवा चरित्र चित्रण
- भाषा शैली
- वातावरण
- उद्देश्य
उपन्यासकार
उपन्यासकार की अगर हम बात करें तो बहुंत से उपन्यासकार हुए हैं जीनके द्वारा सामाजिक चेतना के लिए कार्य किये गये हैं और जीन्होने समाज मे अपनी अलग ही छाप छोड़ी है उनमे से कुछ उपन्यासकारों के नाम कुछ इस प्रकार हैं जो बहुंत प्रचलित और अपने रचनाओं से ख्याती प्राप्त किये हुये हैं:-
उपन्यासकार रचनाएं
1 पे्रमचन्द्र – गोदान, सेवासदन, निर्मला, गबन, रंगभूमि
2 जैनेन्द्र कुमार – कल्याणी, त्यागपत्र, पटक
3 भगवती चरण वर्मा – चित्रलेखा, टेड़े मेड़े रास्ते
4 फणीश्वरनाथ रेणु – परीकथा, जुलुस, मैला आँचल
कहानी और उपन्यास मे अंतर
बहंुत से लोग कहानी और उपन्यास मे अंतर को नही समझ पाते या ये कहें की कुछ लोगों को इन दोनो मे अंतर स्पष्ट नहीं हो पाता है इसका कई कारण है जीसके वजह से ये दोनो एक सा प्रतित होता है। इसे समझने के लिए सबसे आसान तरिका होता है इसके भाव को समझना जिससे कुछ बिंदुओ को ध्यान मे रखकर इन दोनो मे अतंर स्पष्ट किया जा सकता है। इन दोनो में अंतर को निम्न बिंदुओं के द्वारा समझा जा सकता है:-
क्र. | कहानी | उपन्यास |
1 | इसमे जीवन के किसी एक घटना का चित्रण होता है। | इसमे जीवन के सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है। |
2 | इसका आकार छोटा होता है। | इसका आकार कहानी से बड़ा होता है। |
3 | इसमे पात्रों की संख्या कम होती है। | इसमे पात्रो की संख्या अधिक होती है। |
4 | यह कम समय मे अधिक प्रभाव डालती है। | यह प्रभाव डालने के लिए अधिक समय लेती है। |
5 | कहानी को कम समय मे पढ़ा जा सकता है। | उपन्यास को पढ़ने मे कहानी की अपेक्षा कहीं अधिक समया लगता है। |
इस प्रकार इसके और भी बिंदुओ मे इसे दर्शाया जा सकता है।
इन्हे भी देखें
1. राम मंदिर का इतिहास
2. भगवान राम