नितिन गडकरी का पेशा एक सफल राजनीतिज्ञ का है। परंतु यह उनका वास्तविक पेशा नहीं है उन्होने आरएसएस के सेवाभाव से प्रभावित होकर राजनीति मे कदम रखा था। नितिन गडकरी जी एक सफल उद्यमी हैं।
उन्होने कई उद्योगों मे अपना निवेश किया हुआ है। उनके पास एक बायो-डीजल पंप, एक चीनी मिल, इथानॉल ब्लेन्डिंग संयत्र, सोयाबीन संयंत्र के साथ ही एक लघु विद्युत संयंत्र हैं इसके अतिरिक्त और भी कई औद्योगिक क्षेत्र से ये जुड़े हुये हैं।
नितिन गडकरी जी के कार्यों को उनके परिवार के सदस्य अपने स्तर पर देखरेख करते हैं।
औद्योगिक करियर
नितिन गडकरी जी ने अपने राजनीतिक जीवन को जीवीकोपार्जन का जरिया नहीं बनने दिया। उन्होने इसे एक सेवाभाव तक ही सिमित रखने का प्रयास किया।
इस प्रकार से वे एक राजनीतिज्ञ से परे एक उद्योगपति के रुप मे भी अपनी पहचान बनाई उन्होने कई प्रकार के उद्योगों मे अपना निवेश
किया है। उनमे से कुछ निम्न हैं:-
पॉली सैक इंडस्ट्रियल सोसाइटी लिमिटेड – गडकरी जी इसके संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
निखिल फर्निचर एंड एप्लायंसेज प्रा. लिमिटेड – यह उनके बेटे के नाम पर रखा गया है जिसमे गडकरी जी इसके प्रमोटर
और निदेशक हैं।
अंत्योदय ट्रस्ट – यह एक ट्रस्ट है जिसके नितिन गडकरी संस्थापक और सदस्य हैं।
एम्प्रेस एम्प्लॉइज को-ऑपरेटिव पेपर मिल्स लिमिटेड – संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड – इसके प्रमोटर हैं।
इन सभी मे कर उद्देश्यों की पूर्ती के लिए गडकरी ने स्वयं को कृषक के रूप में दिखाया है। उन्होंने केतकी ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी के नाम पर एक फल निर्यात कंपनी भी शुरूआत किया।
पूर्ति समूह के नाम पर उनके कुल लगभग 17 चीनी बागान हैं जहां गन्ने का प्रोडक्सन किया जाता है। सन् 1995 में, जब गडकरी जी महाराष्ट्र में मंत्री के रूप पद पर थे, उसी समय गडकरी जी ने पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड की स्थापना की थी जिसका वर्तमान समय मे पूर्ती ग्रुप के नाम से जाना जाता है।
चूंकि वे एक राजनीति से जुड़े हुए व्यक्ति थे तथा जो उद्योग से भी जुड़े थे जिस कारण 2012 में कार्यकर्ता अंजलि दमानिया द्वारा आरटीआई लगाकर इस बात को सार्वजनिक रुप से उजागर किया जिसमे अनियमितताओं के आधार पर कंपनियां मीडिया की नजरों में आईं।
इस संबंध मे आयकर विभाग ने पूर्ति ग्रुप में निवेश करने वाले कई फर्मों की जांच की, और इनमें से कई फर्मो को फर्जी पते के रूप में पाया गया।
इसके साथ ही तीन निवेश फर्मों को सोमानी समूह के साथ सह-स्थित पाया गया, कुछ जानकारों के अनुसार यह एक प्रकार से निवेष की प्रक्रिया होती है, जिसमे किसी व्यक्ति द्वारा किसी कंपनी मे पूंजी लगाने पर उसे किसी फर्म से अथवा नाम से दर्शाया जाता है जिसे जांच करने वाले अधिकारियों के द्वारा तात्कालिक रुप से फर्जी पता होने की बात कही गई थी।
जिस बात को मिडिया मे गडकरी जी को बदनाम करने के लिये खूब उछाला गया था। इसका एक कारण यह भी था की लोगों को इन फर्मों के बारे में पता नहीं था।
इस बात को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी ने इन आरोपों को बार-बार मिडिया तथा अपने सभाओं मे उठाकर और बड़ा बनाने की कोशिश कि जा रही थी। हालांकि गडकरी जी द्वारा उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद केजरीवाल जी ने माफी मांग लिया।
नितिन गडकरी से जूड़ा विवाद
नितिन गडकरी जी राजनीति से जुड़े व्यक्ति हैं। इसके साथ ही वे उद्योगपति भी हैं अतः विवादों से रिश्ता तो स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जो इस प्रकार हैं:-
- जब गडकरी जी लोकसभा के चुनाव प्रचार कर रहे थे इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान देने के बात पर वे विवादों में घिरे जिसपर चुनाव आयोग ने उनके खलिाफ मामला दर्ज किया था।
- अगस्त 2019 में गडकरी जी ने कहा कि उन्होंने तात्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री से आरबीआई गवर्नर को बर्खास्त करने की सलाह दी थी, क्योंकि गवर्नर अड़ियल रवैया रखते थे। इससे विवाद उत्पन्न हो गया था।
- 2009 में कथित तौर पर गडकरी जी के स्वामित्व वाली तथा उनके घर के पास खड़ी एक कार में सात वर्षीय बच्ची योगिता ठाकरे को पूरे शरीर पर चोटों के निशान के साथ मृत पाया गया था। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के आपराधिक जांच विभाग ने मामले की जांच कर किसी प्रकार के सबूत ना मिलने पर जांच बंद करने की दो बार कोशिश की गई लेकिन स्थानीय अदालतों ने इसे खारिज कर दिया और जांच चलती रही। इस पर गडकरी जी के कर्मचारियों के बयानो के अनुसार उन्होने दावा किया कि लड़की ने गलती से खुद को कार की डिग्गी में बंद कर लिया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई। परंतु लड़की की मां के अनुसार दावा किया गया की उसकी हत्या की गई है। जानकारों के अनुसार योगिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत गला दबाकर करने कि बात सामने आई थी।
- 2010 के समय में जब पूर्ति ग्रुप को लगभग 1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था तब बताया जाता है कि आईआरबी फर्म के द्वारा उनके पूर्ति ग्रुप के लिये भारी ऋण दिया गया था जो उनके पूर्ति ग्रुप के रुपये के कारोबार से भी अधिक था। यह बात इस लिये चर्चा मे आई थी क्योंकि उसके कुछ समय पहले गडकरी जी के मंत्री रहते इस ग्रुप को पीडब्लूडी से ठेका मिला था। जब एक न्यूज चैनल के द्वारा इस पर उनसे सवाल पूछा गया कि उन्होंने बैंकों से कर्ज क्यों नहीं लिया, तो उनके द्वारा यह कहा गया की कंपनी की बैलेंस शीट उपयुक्त स्थिति में नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपने दोस्त दत्तात्रेय से उनकी मदद करने का अनुरोध किया था। श्री गडकरी जी ने इस बात पर यह तर्क भी दिया था कि ठेकेदारों द्वारा किसी की कंपनी में निवेश कराने में कुछ भी गलत नहीं है।
- 2013 की शुरुआत में जब भाजपा अध्यक्ष के लिए चुनाव में, जिसके लिए गडकरी दूसरी बार अध्यक्ष पद जीतने वाले थे, तब कुछ सदस्यों ने पूर्ति समूह के निवेश के आईटी अभियोग का मुद्दा उठा दिया जिससे उनकी जितने आषा खत्म हो गईं। इन सब वजहों के कारण गडकरी जी दोबारा निर्वाचित नहीं हुए। उन्होने भारी मन से यह कहा की वे तब तक पद छोड़ रहें है जब तक जांच में वह निर्दोष साबित नहीं हो जाते।
राजनीति मे एक दूसरे के उपर लांछन लगांना आरोप प्रत्यारोप एक आम बात हो जाती है परंतु ये बातें और भी बढ़ जाती है यदि आप राजनीति के परे भी कुछ कर रहें हैं।
यह बात श्री नितिन गडकरी जी के उपर बिलकुल सही बैठती है क्योंकि उन्होने अपने जिविकोपार्जन के लिये राजनीति का रास्ता छोड़कर उद्योग का सहारा लिया जिससे उनके आलोचकों को उन पर आरोप लगाने का आसानी से अवसर मिलता रहा।
जिससे उनकी छवि कई बार धुमिल हुई परंतु उन्होने उतनी ही जोरदार तरिके से वापसी भी की।
नितिन गडकरी को दिये गये महत्वपूर्ण पद
नितिन गडकरी जी ने अपने राजनीतिक जीवन मे नागपुर से महाराष्ट्र और महाराष्ट्र से भारत तक कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला है, उनको यह राजनीति कोई विरासत मे नहीं मिली थी बलकी आरएसएस मे जुड़ने के बाद उनमे जो सेवाभाव का संचार हुआ।
अपने देष के लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा तथा देष के लिये कुछ करने कि इच्छा के कारण परिस्थितियां ऐसी बनी की उन्होने छात्र जीवन से ही इस क्षेत्र मे अपना पहला कदम बढ़ा दिया था।
यहि सेवाभाव है जो उन्हे राजनीति के उस बुलंदियों तक उन्हे पहुंचा दिया जहां तक पहंुचने मे कई बडे़ से बड़े राजनीति से जुड़े लोगों के लिये मुंगेरी लाल के हसीन सपनो की तरह होती है। उन्हे कई उच्च पदों मे सेवा देने का अवसर प्राप्त हुआ जिनमे से कुछ निम्न हैं:-
- महाराष्ट्र मे भाजपा और षिवसेना के गठबंधन सरकार में उन्हे पूर्व लोक निर्माण विभाग का मंत्री पद दिया गया था।
- महाराष्ट्र मे भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष के रुप मे कार्य करने का अवसर मिला।
- महाराष्ट्र विधान परिषद मे चुने गये जहां उन्हे विपक्ष के नेता का कार्यभार सौंपा गया।
- वे लगातार 20 वर्षों तक महाराष्ट्र विधान परिषद मे सदस्य चुने गये।
- भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष के रुप मे भी चुना गया था।
- भाजपा के केन्द्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का भी मौका मिला।
- जब केन्द्र मे भाजपा की सरकार बनी तो उन्हे सड़क परिवहन मंत्री के साथ और भी कई मंत्रालय दिया गया तथा लगातार दूसरी बार उन्हे इस पद पर कार्य करने का अवसर मिला।
नितिन गडकरी एवं सड़कों से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न
यदि हम सामान्य क्षेत्रों मे सड़कों की बात करें तो वह केवल एक सामान्य सड़क होता है, परंतु यदि सघन आबादी अथवा शहरों के सड़कों की बात करें तो इन सड़कों के सतह के नीचे सार्वजनिक और निजी उपयोगिताओं का एक विशाल नेटवर्क होता है जो उस सघन आबादी वाले व्यस्त जन जीवन को स्वच्छ पानी, आबादी के अपशिष्ट निपटान, बरसात के जल निकासी, बिजली तथा संचार जैसी आवश्यक सेवाओं को पूर्ण करने मे अपना अहम भूमिका निभाती है।
सड़क बनाने मे प्रति किलोमीटर कितना खर्च आता है इसका कोई ठीक ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है इसका मुख्य कारण है कि वह जगह कौन सी है जहां इस सड़क का निर्माण किया जाना है, परंतु यदि हम उस जगह को समतल मान के चलें तब की स्थिति में उसमें लगने वाले मटेरियल, भूमि अधिग्रहण तथा लेबर काॅस्ट को देखते हुये प्रति किलोमीटर सड़क बनाने के लिए अभी 30 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, यह काॅस्ट समय के साथ मटेरियल और बढ़ते हुये महगांई के वजह से बढ़ती रहती है।
भारत मे पीली लाईन का अर्थ लगातार से होती है और यहां पर आप किसी भी गाड़ी से अपनी ही साइड में रहते हुए ओवरटेक कर सकते हैं। इस लाईन का एक नियम है यह लाईन आमतौर पर उन सड़कों पर बनाई जाती है, जहां पर विजिबिलिटी लो होती है, परंतु देखा जाये तो यह आज के समय मे प्रायः सभी जगहों पर दिख जाती है इसका विजिबिलिटी से कोई संबंध दिखाई नहीं पड़ता है।
यदि सड़कों से लाभ की बात करें तो इससे कनेक्टिविटी अच्छी होती है और उस क्षेत्र मे विकास तेजी से होता है इसे कुछ निम्न बिंदू से दर्शाया जा सकता है:- ऽ सड़क न होती तो कार्यों मे गती नहीं आ पाती सड़क के करण विकास तेजी से हो रहा है। ऽ आज देश मे रोड नेटवर्क की बात करें तो कोई भी क्षेत्र सड़क से अछूता नहीं है। ऽ अक्सर यह देखा गया है कि जहां सड़कें नहीं है वहां विकास की रफ्तार धिमी हो जाती है। ऽ विकाश के लिए अच्छी सड़कों का होना आवष्यक है।
टूटी सड़कों को गड्ढे कहतें हैं, ये सड़क के वह हिस्से होते हैं जहां आमतौर पर डामर अथवा कंक्रीट में दरारें पड़ जाती हैं और जब इसके उपर से गुजरने वाले वाहनों का भार बार-बार पड़ता है तो यह टूट जाती हैं, जिससे गड्ढ़ों का निर्माण हो जाता है।
हाईवे पर लेन की गिनती आम तौर पर सबसे बायीं लेन से कि जाती है, इस प्रकार आप जैसे- जैसे दाईं ओर बढ़ते हैं, लेन संख्या इसके नुसार बढ़ती जाती है।
गाड़ी कितनी स्पीड से चलानी चाहिए इसका निर्धारण रोड तथा घनत्व के साथ ही वह गाड़ी कौन से प्रकार की है इससे होता है। भारत के मोटर यान अधिनियम के अनुसार आठ या उससे कम सीट वाले पैसेंजर व्हीकल की स्पीड अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है। इसी प्रकार नौ या उससे अधिक सीट वाले पैसेंजर 90 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक तेज नहीं चल सकते। इन नियमों मे समय समय पर परिवर्तन किया जाता है।
भारत के नेशनल हाईवे की बात करें तो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार वर्तमान समय में भारत में 599 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इन राष्ट्रीय राजमार्गों के संख्या का समय के साथ नवीनीकरण किया जा रहा है।
हाईवे पर कार की स्पीड उसके फिटनेस पर भी निर्भर करती है आप अपनी कार जो एम वन श्रेणी का हो इसे 4 लेन और उससे भी अधिक लेन वाले राजमार्गों पर अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की गति से चला सकते है। इसमें भी कुछ नियम और शर्ते जोड़ी गई हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है।
हाईवे की चैड़ाई उसके आसपास के जनघनत्व तथा आवागमन के घनत्वों पर भी निर्भर करती है परंतु सामान्यतः एक नेशनल हाईवे की चैड़ाई आमतौर पर 7 मीटर से 15 मीटर तक होती है।
हाईवे और एक्सप्रेस वे दोनो ही एक प्रकार से वाहनों के लिये रोड है परंतु इसमे लेन की संख्या के आधार पर इन्हे बांटा जा सकता है जहां एक हाईवे में 2 से 4 लेन की चैड़ी सड़क होती है वहीं एक्सप्रेस वे में 6 से 8 लेन होती हैं। इसी प्रकार एक्सप्रेस वे मे हाईवे की अपेक्षा और अधिक तेज गति से गाड़ियों को चलाया जा सकता है। एक्सप्रेस वे मे रोड की सुविधा को थोड़ा और डेवलप करके इनके लिए अलग-अलग एंटर और एग्जिट रैंप बनाए जाते हैं।
दुनिया मे सबसे सीधी रोड की बात कि जाये तो ग्रांड ट्रंक रोड को माना जा सकता है, जिसकी लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर है। यह रोड बांग्लादेश से शुरु होकर अफगानिस्तान तक जाती है।
पूरे विष्व की सबसे लंबी सड़क के रुप मे पैन अमेरिकन हाईवे को माना जाता है जो प्रूडोबे अलास्का नामक जगह से शुरु होकर अर्जेंटीना के उशुआइया तक जाती है। इस सड़क की लंबाई की बात करें तो यह लगभग 30000 कि.मी. तक लंबी है।
विश्व का सबसे उंचा सड़क भारत के सीमा सड़क संगठन जिसे बी.आर.ओ. के नाम से जाना जाता है उसके द्वारा 2020 में चीन सीमा से सटे भारत के लद्दाख क्षेत्र में दुनिया की सबसे उंची सड़क उपलिंगला मे बनाई है, जो उपलिंगला दर्रे मे स्थित है जिसे 2021 में गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकाॅर्ड में शामिल भी किया गया था।
यदि वाहन चलाने की सही उम्र की बात करें तो यह किसी भी देश के मोटर यान अधिनियम अथवा सरकार के रुलरेगुलेशन पर आधरित होती है जिसे सरकार अपने विवेकानुसार बदलती रहती है भारत की बात करें तो यहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष हैं परंतु कुछ जानकारों के अनुसार सरकार इसे 18 की जगह 16 साल करने जा रही है यह उम्र ई-स्कूटर या बाइक्स चलाने के लिए होगी।
यदि कोई व्यक्ति गाड़ी चलाते समय मोबाईल फोन पर बात करे तो ऐसा करने से चालक का ध्यान बंट जाता है जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा वह व्यक्ति एक हाथ से गाड़ी चलाता है और इस प्रकार जैसे ही वाहन से उसका नियंत्रण हटता है दुर्घटना हो जाती है।
रोडवेज का पास के नियम समय समय पर बदलते रहते है। इसका एक सामान्य सा प्रक्रिया होता है इसके लिए आवश्यक प्रमाण पत्र, फोटो, आवश्यक शुल्क तथा आवेदन जमा करने पर पास जारी किया जाता है। यदि आप प्रथम बार पंजीकरण कराते है तो इसका एक निर्धारित शुल्क देना होता है। जब पास का पुनः सत्यापन कराना हो तब ऐसी स्थिति मे पास की वैधता समाप्त होने के एक सप्ताह के भीतर इसका सत्यापन किया जाना चाहिए, यदि उन समयो मे आप सत्यापन नहीं करा पाते है तब आपको पुनः पंजीकरण कराने की आवश्यकता पड़ती है।
प्रधानमंत्री ग्राम साड़क योजना के तहत देश के विभिन्न जिलों में अब तक 395 से भी अधिक सड़कें निर्मित हो चुकी है। इस योजना के अनुसार इसके अंतर्गत बनने वाली सभी सड़कों की चैड़ाई 3.75 मीटर की होती है।
मेरा गांव मेरी सड़क योजना राज्य सरकार द्वारा पहल की गई एक बहुंत अच्छी ग्रामिण योजना है, इसमें ग्राम पंचायत द्वारा राज्य सरकार को सड़क निर्माण का प्रस्ताव दिया जाता है जिसके अनुसार वह ग्राम पंचायत उस सड़क मे लगने वाले राशि का 50 प्रतिषत लागत स्वयं वहन करता है तथा इसका शेष 50 प्रतिशत लागत राज्य सरकार के द्वारा उठाई जाती है। इस प्रकार से ग्राम पंचायत को मेरा गांव मेरी सड़क के माध्यम से राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि मिल जाती है जिससे गांव मे नई सड़का का निर्माण किया जा सकता है।
पक्की सड़कें वे सड़कें होती है जिनका निर्माण डामरीकरण या कंक्रीटिंग द्वारा किया जाता है इसमे छोटे छोटे पत्थरों को डामर (तारकोल) मे मिलाक सड़कों को बराबर करके इनमे ढाला जाता है। तथा रोलर द्वारा इसे रोलिंग किया जाता है। इसी प्रकार कंक्रीट वाले रोड को सिंमेट, रेत और पत्थर के छोटे टूकड़ों की सहायता से मसाला तैयार कर इसका निर्माण किया जाता है। इस प्रकार बनी सड़कें पक्की सड़क कहलाती है।
किसी सड़क के किनारे जल निकासी के उद्देश्यों के लिए सड़क के किनारे नाली खोदी जाती है, खोदी गई इस नाली को बार या उतार खाई कहते है। इसका मुख्य कार्य सड़को से गंदगी और पानी को उतारने के लिए किया जाता है।
रोड से कितनी दूरी पर घर बनानी है यह उस रोड के प्रकार पर निर्भर करता है इसकी नियमों के मुताबिक बात करें तो किसी भी हाईवे के मध्य से दोनों ओर 75-75 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई निर्माण बहुंत ही जरुरी है तो इसके लिये एन.एच.ए.आई. एवं राजमार्ग मंत्रालय से अनुमति लेनी की आवश्यकता पड़ती है। परंतु राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण एक्ट की धारा 42 की बात करें तो इसके अनुसार यह स्पष्ट किया गया है कि चाहे कितनी भी आवश्यक क्यों न हो सुरक्षा की दृष्टि से देश के किसी भी हाईवे के मध्य से 40 मीटर तक निर्माण की इजाजत किसी भी परिस्थिति में नहीं मिलेगी।
देष मे डामर (तारकोल) से बनी सड़कों की उम्र औसतन 15 वर्ष मानी गई है और इस अवधि के दौरान बने सड़कों को हर तीसरे साल मेंटेन करने की जरुरत पड़ती है।
सड़क पर बनी सफेद पट्टी को बैरियर लाइन भी कहते है। यदि आपको सड़क पर चलते हुए एक सफेद व पीली रेखा डाॅट मे दिखाई पड़ती है तो इसका अर्थ है कि, आपको टूटी हुई सफेद व पीली लाइन के उपर से सावधानी के साथ गुजरने की अनुमति होती है, परंतु यदि बिना डाॅट के आपको सिधी सफेद रेखाएं मिलती है तो उसका मतलब है कि, आप जिस लेन पर चल रहे हैं, उसी मे चलते रहें। आपने अक्सर ध्यान दिया होगा की ऐसी सीधी लाईन मोड़ मे दिखाई पड़ती है और इसका मुख्य कारण यह होता है कि मोड़ मे आप अवरटेक ना करें।
सड़क का निर्माण कई प्रकार से किया जाता है जिसमे से मुख्य फाॅर्मवर्क होता है इस प्रकार सड़क का आकार बनाने के लिए फाॅर्मवर्क लगाया जाता है। सड़क को मजबूती प्रदान करने के लिए स्टील सुदृढ़ीकरण सलाखों को फाॅर्मवर्क में रखा जाता है। कंक्रीट प्लेसमेंट कंक्रीट को मिलाया जाता है और फाॅर्मवर्क में डाला जाता है, जिसे बाद में किसी भी हवाई बुलबुले को हटाने के लिए समतल और काॅम्पैक्ट किया जाता है। यह एक बहुंत ही उपयोगी टेकनिक है जिससे रोड को कम समय मे अधिक रोड बनाने की जो समयावधी होती है उसे पूरा किया जा सकता है। आज के समय मे इसका अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है।
अगर किसी देश की तरक्की की बात करें तो उसे परिवहन का एक महत्वपूर्ण रोल होता है परंतु इसके अच्छे के साथ साथ कुछ बूरे भी प्रभाव पड़ते हैं जोकि पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं, जैसे ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग।
यदि एक नई कार की बात करें तो उसको अपने कार्य को चरम तक ले जाने अथवा स्वयं को दक्ष करने मे थोड़ा समय लगता है इसका कारण इंजन, पिस्टन, कार्बोरेटर लाइन इत्यादि को लूब्रिकंेट करने में समय लगता है जिसके कारण शुरुआती माइलेज कम होगा। किसी भी वाहन को बेहतर माइलेज देने के लिए आम तौर पर 1000 किलोमीटर तक का समय लगता है। जिसके बाद इसके माईलेज मे स्पष्टता आती है।
भारत के सबसे छोटे राष्ट्रीय राजमार्ग की बात कि जाये तो यह एनएच - 47 ए है, इसकी लंबाई की बात करें तो यह महज 5.9 किमी था, जो कोच्चि शहर को विलिंग्डन द्वीप से जोड़ता है। इसी प्रकार एनएच - 44 सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है जिसकी लंबाई 3745 कि.मी. है।
एनएच एक हाफ नाम है जिसका पूरा नाम नेशनल हाईवे होता है।
भारत मे वर्तमान समय के हिसाब से देखा जाये तो कई ऐसे नेशनल हाईवे हैं जो बहंुत व्यस्त की श्रेणी मे आते है परंतु यदि इनमे से भी सबसे अधिक व्यस्त की बात करें तो एनएच - 66 राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्गों में से एक है, यह राजमार्ग महाराष्ट्र से होते हुये कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य से गुजरती है इस दौरान वह भारत के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरता है, इस राजमार्ग की लंबाई की बात करें तो यह लगभग 1640 किमी लंबा है।
जिस प्रकार से नेशनल हाईवे केंन्द्र सरकार के द्वारा बनाई जाती है ठीक उसी प्रकार स्टेट हाईवे राज्य सरकार के द्वारा बनाया जाता है। राज्य के राजमार्गों का रखरखाव कि जिम्मेदारी राज्य लोक निर्माण विभाग (एसपीडब्लूडी) की होती है। राज्य राजमार्ग नेशनल हाईवे के इतर वे सड़कें होती हैं जो मुख्य रुप से राज्य के जिलों को अथवा महत्वपूर्ण शहरों, मुख्यालयों तथा कस्बों को जोड़ने का काम करती हैं।
हाईवे एक अंग्रेजी का शब्द है जिसका हिंदी रुपांतरण राजमार्ग होता है। इस प्रकार हाईवे ऐसी सड़क अथवा सार्वजनिक मार्ग को कहते हैं जो किसी स्थान के यातायात के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारत मे चैड़े रोड की बात करें तो देश के जो एक्सपे्रसवे होते हैं यह सामान्य सड़कों से चैड़ा बनाया जाता है, परंतु यदि देश के सबसे चैड़े एक्सप्रेसवे की बात करें तो लेन के हिसाब से सरकार द्वारा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को सबसे चैड़ा बनाया गया है, जिसे कुल 14 लेन का बनाया गया है, जो अब तक का देश मे बना सबसे ज्यादा लेन का एक्सप्रेसवे है।
श्री नितिन गडकरी जी महाराष्ट्र से केन्द्र मे आये हुये एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो वर्तमान समय में भारत सरकार में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री हैं। यदि इनकी सेवाकाल की बात करें तो इन्होने सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री बन गये हैं, जिनका कार्यकाल वर्तमान में 9 वर्षों से अधिक का हो गया है। उन्हे लगातार दूसरी बार सड़क परिवहन मंत्री के रुप मे चुना गया है।
श्री नितिन गडकरी जी के पास कई गाड़ियां है परंतु वे आम तौर पर टोयोटा की सेडान कार मिराई का इस्तेमाल करते हैं।
भारत के वर्तमान समय अर्थात 2023 में परिवहन मंत्री की बात करें तो वह श्री नितिन गडकरी जी हैं।
परिवहन मंत्री जोकि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि, सड़क परिवहन से संबंधित मामलों पर कार्य करने वाले मंत्रालय का मुखिया जिसे परिवहन मंत्री कहा जाता है।
भारत मे यदि परिवहन विभाग का सबसे बड़ा नौकरशाह की बात करें तो यह परिवहन आयुक्त होता है, जिसके द्वारा परिवहन विभाग का नेतृत्व किया जाता है।
परिवहन विभाग के अंतर्गत सभी प्रकार के परिवहन जैसे सड़क परिवहन, रेलवे, पोत परिवहन और हवाई यातायात इन सभी के लिए एक फीडर सेवा के रुप में परिवहन विभाग कार्य करता है। इसके अलावा पड़ोसी देशों के साथ वाहनों के आवागमन की व्यवस्था कराना, देश में सड़क परिवहन से संबंधित व्यापक नीतियां तैयार करना ये सभी कार्य परिवहन विभाग के अंतर्गत किये जाते हंै।
आरटीओ का फुल फाॅर्म रीजनल ट्रांसपोर्ट आॅफिस होता है जिसे शाॅर्टकट मे आरटीओ कहा जाता है। यदि इसका हिंदी में अनुवाद करें तो इसे क्षेत्रीय परिवाहन कार्यालय कहा जाता है। यह केन्द्र सरकार के अंतर्गत आने वाला एक कार्यालय होता है, जो मुख्यरुप से वाहन के रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध कराये जाने के लिए उत्तरदायी होता है।सड़क के नीचे क्या है?
एक किलोमीटर सड़क बनाने में कितना खर्चा आता है?
सड़क के किनारे कुछ दूरी पर पीली लाईन क्यों लगाई जाती है?
सड़कों से हमे क्या लाभ है?
टूटी सड़कों को क्या कहते हैं?
हाईवे पर फस्र्ट लेन कौन सी है?
गाड़ी कितनी स्पीड से चलाना चाहिए?
भारत में कितने नेशनल हाईवे हैं?
हाईवे में कार की स्पीड कितनी होनी चाहिए?
हाईवे कितने मीटर चैड़ा होता है?
हाईवे और एक्सप्रेस वे में क्या फर्क होता है?
दुनिया का सबसे सीधा रोड कौन सा है?
पृथ्वी पर सबसे लंबी सड़क कहां है?
विश्व का सबसे उंचा सड़क कौन है?
कार चलाने की सही उम्र क्या है?
गाड़ी चलाते समय मोबाईल फोन पर बात क्यों नहीं करनी चाहिए?
रोडवेज का पास कैसे बनता है?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की चैड़ाई कितनी होती है?
मेरा गांव मेरी सड़क योजना क्या है?
पक्की सड़क क्या है?
सड़क किनारे खाई को क्या कहते हैं?
रोड से कितनी दूरी पर घर बनाना चाहिए?
सड़क की उम्र कितनी होती है?
सड़क पर बनी सफेद पट्टी को क्या कहते हैं?
सड़क का निर्माण कैसे होता है?
परिवहन के नुकसान क्या हैं?
नई कारें कम माईलेज क्यों देती हैं?
भारत का सबसे छोटा एनएच कौन सा है?
एनएच का पूरा नाम क्या है?
सबसे व्यस्त हाईवे कौन सा है?
स्टेट हाईवे कौन बनाता है?
हाईवे को हिन्दी में क्या कहते हैं?
भारत का सबसे चैड़ा रोड कौन सा है?
नितिन गडकरी का पोर्टफोलियो क्या है?
नितिन गडकरी के पास कौन सी गाड़ी है?
भारत का वर्तमान में परिवहन मंत्री कौन है?
परिवहन मंत्री का मतलब क्या होता है?
परिवहन विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी कौन होता है?
परिवहन विभाग के कार्य क्या हैं?
आरटीओ का पूरा नाम क्या है?