भगवान राम जी एक ऐसे प्रतापी राजा थे जिनका उदाहरण वर्तमान समय में आज भी एक अच्छे, गुणवान, धर्मात्मा राजा जिसने अपने प्रजा के सुख को सर्वोपरी मानकर शासन करने वाले त्याग के मूर्ति के रुप में दिया जाता है।
वे एक प्रकार से अनुशासित व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होने अपने पिता के एक आज्ञा पर अपना विषाल राजपाठ को एक तिनके की भांति छोड़कर अपने पत्नी और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष तक वन में व्यतित किया।
राजमहल के ऐसो आराम को त्याग कर वन-वन भटकते रहे, वे शुध्द शाकाहारी थे जिसके कारण उन्हे वन में जंगली कंदमूल का सेवन करके अपना जीवन व्यतित करना पड़ा। वे सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्रों के ज्ञाता थे, बहुंत ही कोमल स्वभाव के थे, उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो शत्रु के लिये भी अपने हृदय में दयाभाव रखते थे।
जहां राजा अपने जीवन काल में कई विवाह करते थे वहां भगवान राम ने अपना पूरा जीवन केवल माता सीता के साथ ही व्यतित किया। वे अपनी पत्नी से बहुंत प्यार करते थे, इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होने अपनी पत्नी अर्थात माता सीता का हरण हो जाने पर उनकी खोज करते हुये भारत भूखण्ड के मध्य अरण्य से भारत के दक्षिण क्षोर के समुद्र तट तक पदयात्रा करते हुये पहुंच गये
और केवल पहंुचे ही नहीं बलकी अपने सबसे बड़े भक्त महाबली प्रतापी हनुमान, सुग्रीव और उनके वानर सेना के साथ समुद्र पे सेतु का निर्माण कर हरण करने वाले दुष्ट रावण को मार कर माता सीता को पूनः प्राप्त कर वापस आये।
और अपना राजकाज सम्भाला जब लोगों के बिच माता सीता के संबंध में हरण के बारे में अभद्रता पूर्वक अफवाह फैलने लगा तो भगवान राम ने अपने प्रजा के बांतो का मान रखते हुये उस माता सीता का पूनः त्याग कर दिया जिसे उन्होने बलषाली और अजेय रावण का समूल नाश कर वापस प्राप्त किया था।
यदि हम एक पल के लिये सोंचे की इतने पराक्रमी और शक्ति सम्पन्न राजा ने ऐसा कार्य किया तो निश्चित ही मन में यह खयाल आता है कि, कोई साधारण मनुष्य ऐसा नहीं कर सकता। इस महान त्याग के मूर्ति की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है।
इसका कारण यह है कि उन्होने मर्यादा के पालन के लिए अपने विषाल राज्य, अपने परिवार तक को त्याग दिया।
भगवान राम का जीवन
भगवान राम सूर्यवंशी थे जो की इक्ष्वाकु कुल में उनका जन्म हुआ था। इनका पूर्ण रुप में नाम रामचंद्र है परंतु इन्हे संपूर्ण संसार राम के नाम से जानते हैं। हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी सबसे बड़ी रानी कौशल्या के पुत्र थे।
महाराज दशरथ के कुल तीन रानियां थी जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं। उन तीनो के कुल चार पुत्र और एक पुत्री हुये। कौशल्या से एक पुत्री शांता और पुत्र भगवान राम का जन्म हुआ कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
भगवान राम को विष्णु के अवतार के रुप में जाना जाता है। श्रीराम जी के जन्म के संबंध में कुछ बुध्दिजीवियों के बिच में मतभेद है। भगवान राम ने अपने भाईयों के साथ गुरुकुल में षिक्षा ग्रहण किया जो उस समय प्रचलन में था, जिसके अनुसार उन्हे घर तथा सांसारिक सुखों को त्यागकर मुनियों के यहां आश्रम में रहकर के शिक्षा ग्रहण करना होता था।
भगवान राम के गुरु गरु वशिष्ठ थे। जब उन्होने अपने प्रारंभिक शिक्षा पूर्णं करके पूनः राजमहल वापस आये तब महर्षि विश्वामित्र ने अपने यज्ञ की रक्षा के लिए उन्हे राजा दशरथ से वचन लेकर अपने साथ ले गये जिसमें उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी उनके साथ गए।
इस दौरान भगवान राम ने एक ताड़का नाम की राक्षसी का वध किया। उसके बाद अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपूरी पहंुच गये जहां राजा जनक ने अपने पुत्री सीता के स्वयंवर का आयोजन रखा था।
जहंा पहुंच कर शिव के धनुष को तोड़कर माता सीता से विवाह किया, चूंकि स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को उठाकर उसमें प्रत्यचां चढ़ाना उस स्वयंवर का शर्त था जिसे भगवान राम ने ना केवल पूरा किया बल्की उसमें प्रत्यचां चढ़ाने के प्रयत्न करते समय वह टूट गया।
इस प्रकार माता सीता का भगवान राम से विवाह तय हुआ और इसी के साथ सभी राजकुमारों का भी विवाह हुआ भगवान राम सहिंत सभी भाईयों के पत्नीयों के नाम रामचन्द्र -माता सीता, भरत-माण्डवी, लक्ष्मण-उर्मिला, सत्रुघ्न-सुतकीर्ति थे।
कुछ समय पश्चात भगवान राम जी का राज्याभिषेक की तैयारियां शुरु किया गया तब अचानक अपने पिता के द्वारा दिये गये वचन के लिए उन्हे 14 वर्ष के लिये वनवास जाना पड़ा इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण भी उनके साथ गये।
इस प्रकार उन्होने अपना घरबार त्यागकर 14 वर्षों के लिये वन में चले गये। दडकारण्य के जंगल (वर्तमान में हम बस्तर के नाम से जानते है उसके आसपास के क्षेत्र) में उन्हे शुर्पनखा नाम की एक राक्षसी मिली जो की उस समय राक्षस कुल के प्रतापी राजा रावण की एकलौती बहन थी।
उससे उनका विवाद होने पर लक्ष्मण जी ने उनका नाक काट दिया जब रावण को इसके बारे में ज्ञात हुआ तो उसने खर और दूशण को भगवान राम के वध के लिये भेजा जिनका भगवान राम ने वध कर दिया। तब छल से रावण द्वारा माता सीता का अपहरण कर लिया गया।
माता सीता की खोज में जटायु पक्षी जिसने माता सीता को बचाने का प्रयास किया था उसकी मृत्यु हो जाने पर श्रीराम ने उनका अंत्येष्ठि संस्कार किया।
जब वे खोज करते हुये आगे बढ़े रास्ते में उन्हे माता शबरी मिली जो एक महान तपस्विनी थी और जिन्होने कई वर्षों तक भगवान राम की अपने कुटिया में आने की प्रतिक्षा की थी। इसके संबंध में उनके गुरु मातंग ने उन्हे यह भेद बताया था। यहीं पर (वर्तमान शिवरीनारायण छ0ग0) भगवान राम ने उनके जूठे बेर खाये थे।
और माता सीता को खोजने के लिये उनका पथ प्रदर्षक की भूमिका निभाई थी और इस प्रकार भगवान राम के दर्शन कर शबरी का जीवन सफल हुआ। इसके पश्चात आगे बढ़ने पर उन्हे अपने सबसे प्रिय अति गुणवान और महाबली पराक्रमी भगवान हनुमान जोकि भगवान रुद्र के अवतार हैं, उनसे भेंट हुई और उन्होने अपने महाराज सूर्यपुत्र सुग्रीव से भेंट कराई जिसके बाद उनके अधर्मी भाई बाली का वध कर सुग्रीव को वानरों का राजा बनाया।
जिसके पश्चात पूरी वानर सेना सुग्रीव के नेतृत्व में माता सीता के खोज में भगवान राम का साथ दिया इस प्रकार श्रीराम प्रिय हनुमान ने माता सीता को खोज निकाला और इसका श्रेय प्राप्त किया, जिसके पश्चात भगवान राम के हृदय में उनके लिये स्नेह और भी अधिक गहरा हो गया।
भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को रावण के द्वारा अपने राज्य से निकाल देने पर शरण दिया। रावण भले ही भगवान राम का शत्रु था परंतु श्रीराम उनके ज्ञान की प्रशसा करते थे।
इस बात का अनुमान तभी लग जाता है जब भगवान राम जी ने रावण का समूल नाश (विभिशण को छोड़कर) कर दिया और रावण अपने मृत्यु शैयां में आखरी सांस ले रहे थे, तब भगवान राम ने रावण से अपने छोटे भाई लक्ष्मण को ज्ञान देने का निवेदन किया था।
इस प्रकार अच्छाई की जीत हुई और बुराई की हार हुई जिसके बाद भगवान राम ने लंका को रावण के छोटे भाई विभिशण को सौंप कर माता सीता को लेकर वापस अयोध्या पहंुचे और अपने पिता को दिया हुआ वचन निभाया।
इसके पश्चात भगवान राम ने अपना राजपाठ संभाला। परंतु कुछ अफवाहों के फलस्वरुप उन्होने अपने प्रजा के बातों का मान रखते हुये माता सीता को त्याग दिया जिसके पश्चात माता सीता वन में महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहने के लिये चलीं गई जहां उन्होने लव और कुश को जन्म दिया और वहीं उनका पालन पोशण करने लगीं।
परंतु कुछ जानकारों की माने तो वाल्मीकि रामायण में भगवान राम के अयोध्या आने और अपना राजकाज संभालने तक ही बताया गया है। वहीं कुछ अन्य ग्रंथो में लव तथा कुश जन्म के कुछ समय पश्चात माता सीता के धरती माता में समा जाने और भगवान राम जी का सरयु नदी में जल समाधि लेने की बात कही गई है।
इस प्रकार से वर्तमान हिंदूओं के प्रतिक भगवान श्री रामचद्र जी का संपूर्ण जीवन का वर्णन है।
रामायण की रचना करने वाले महापुरुष
यदि वर्तमान समय तक देखा जाये तो कई लोगों ने रामायण की रचनाओं को अपने शब्दों में वर्णिंत कर इसकी रचना की है। परंतु मुख्य रुप से महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा जो रामायण की रचना की गई थी उसे विषेश महत्व दिया जाता है।
इसके पश्चात गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी भगवान राम के जीवन पर केन्द्रित प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस नाम के ग्रंथ की रचना की थी। कुछ जानकारों की माने तो स्वयं भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने उन्हे दर्षन दिया था और इसकी रचना के लिये प्रेरित किया था। पूरे भारत वर्ष और संसार में मुख्य रुप से इन्ही दोनो ग्रंथो को हिंदूओं द्वारा स्वीकार किया जाता है।
इन दोनों के अलावा कई लेखकों ने इसे अन्य भारत के क्षेत्रिय भाषाओं में भी इसकी रचनाएँ की हैं, जो आंचलिक रुप से काफी प्रसिद्ध भी हैं। स्वामी करपात्री के द्वारा रचित रामायण मीमांसा में संसार की समस्त रामायण का लेखा जोखा हैं।
भारत के दक्षिण के क्रांतिकारी पेरियार रामास्वामी जोकि भगवान राम और हिंदू धर्म के घोर विरोधी थे, उनके द्वारा भी रामायण की रचना की गई है। कुछ जानकारों की माने तो पेरियार द्वारा जो रामायण की रचना की गई है संभवतः वह दक्षिण के एक बड़े जनसंख्या जोकि नास्तिक प्रवृत्ति के हैं।
उनके बिच अपनी प्रसिध्दि और राजनीतिक फायदे के लिये किया गया रहा होगा? इस बात पर कुछ लोग और अधिक बल इस लिये देते हैं क्योंकि उन्होने अपने पूरे जीवन पर्यन्त कभी भी किसी और धर्म का विरोध नहीं किया।
जबकि कुछ बुध्दिजीवियों के अनुसार यदि देखा जाये तो जिस बात को लेकर वे हिंदू धर्म का विरोध करते थे वह कुछ अन्य धर्मों में कहीं अधिक दिखाई देता है? जबकी देखा जाये तो हिंदू धर्म में पेरियार ने जिसे जातीपाती और असमानता माना है, रामायण के जानकारों के अनुसार वह एक वर्ण व्यवस्था थी जिसमें उनके कर्मों के आधार पर उन्हे बांटा जाता था जिसके उदाहरण से पूरा रामायण भरा पड़ा है।
उस समय इस प्रकार की कोई जाती व्यवस्था नहीं थी। परंतु पेरियार ने उस वर्णं व्यवस्था को वर्तमान समय के जाति व्यवस्था से जोड़ दिया, जोकि कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता है।
भगवान राम को अपना आदर्श मानने वाले 4 देश
भगवान राम न केवल भारत खण्ड में बल्की इसके साथ-साथ कई देशों में इन्हे आदर्श और अत्यन्त पूजनीय माना जाता है। समय के साथ कई और धर्म हुये जिसके कारण उन्होने एक दूसरे के धर्म का अपमान करना और उस धर्म से जूड़े महापुरुषों का अपमान अथवा उनके संबंध में अनरगल बांते कहना अफवाह फैलाना आज के समय में एक आम अवधारणा हो गई है।
परंतु यदि हम श्रीराम के बारे में देखें अथवा पढ़ें तो इसके संबंध में ऐसा बहंुत ही कम देखने को मिलता है। इसका अर्थ यह बिलकुल भी नहीं है कि सभी उन्हे आदर्श मानते हैं। लोगों का कुछ निजी स्वार्थ होता है जिस कारण वे ऐसा करते हैं।
भगवान राम को भारत के साथ ही विश्व के और भी कई देशों में आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं जैसे 1. इण्डोनेशिया, 2. नेपाल, 3. थाईलैण्ड, 4. मॉरिशस इनके अलावा और भी कई देश हैं।
इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम शब्द से भी जाना जाता है। थाईलैंड के राज परिवार भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज माने जाते हैं जो इसका प्रतिनिधित्व करते हैं।
भारत के 3 त्योहार जो भगवान राम से जूड़े हुये हैं
सनातन धर्म के अनुसार भगवान राम भारत के कण-कण में विराजमान हैं, भले ही आज नास्तिक लोगों के साथ- साथ अन्य धर्मों के लोगों के द्वारा कितने भी अनर्गल बांते करते हों परंतु वास्तविकता तो यहीं है की भारत वर्ष के जनमानस में श्रीराम इस प्रकार से रच-बस गयें हैं कि यह लोगों के जिने का आधार बन गये हैं।
हिंदू धर्म के कई त्योहार, जैसे राम नवमी, दशहरा और दीपावली, भगवान राम से ही जुड़े हुए हैं। रामायण और इसके मुख्य पात्र भागवान राम की छवि भारतीय जनमानस के हृदय में सदियों से बसता आया है, जो वर्तमान समय में आज भी इसका भाव निहित है।
इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि भारत के अधिकांष क्षेत्र में जब किसी व्यक्ति से भेंट होती है तब नमस्कार करने के लिए राम राम, जय राम जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ये भारतीय संस्कृति के आधार थे और वर्तमान समय में भी हैं।
यहीं कारण है कि जो लोग सनातन का विरोध करते हैं वे भगवान राम और भगवान कृष्ण के उपर अफवाह फैलाते हैं। हिंदू धर्म में श्रीराम तथा कृष्ण दोनो को ही भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
राम का अर्थ
भगवान राम के संबंध में जो रामायण की रचना महर्षि वाल्मिकी द्वारा किया गया था वह संस्कृत में किया गया था। इस प्रकार से यदि इसका संस्कृत में अर्थ स्पष्ट करें तो राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं रम् और घम से मिलकर बना है।
इस प्रकार रम् का अर्थ है रमना अथवा निहित होना तथा घम का अर्थ है ब्रम्हांड का रिक्त स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ सकल ब्रम्हांड का रिक्त स्थान हो जाता है।
इस प्रकार यदि हम भगवान राम का संस्कृत में विच्छेद कर उसका अर्थ निकालें तो सकल ब्रम्हांड में रमा हुआ तत्व अर्थात चराचर में विराजमान स्वयं ब्रम्ह है।
भगवान राम की प्राचीन मान्यता
यदि भगवान राम के विषय में प्राचिन मान्यताओं की बात करें तो वैदिक साहित्यों में राम नाम का कोई विषेश उल्लेख नहीं मिलता है। चार वेदों में से ऋग्वेद में केवल दो स्थानों पर ही राम शब्द का उपयोग किया गया है।
यदि इसके उपयोग की बात करें तो एक जगह काले रंग (रात के अंधकार) के अर्थ के लिये किया गया है। इस प्रकार दो में से केवल एक जगह ही व्यक्ति के अर्थ में राम शब्द का प्रयोग हुआ है। परंतु इसमे भी कुछ जानकारों और शोधकर्ताओं के अलग-अलग मत हैं।
जैसे इसी के विषय में नीलकण्ठ चतुर्धर ने ऋग्वेद के अनेक मन्त्रों को स्वविवेक से चुनकर उनके रामकथापरक अर्थ स्पष्ट किये हैं, जिसे कई बुध्दिजीवियों ने उनकी निजी मान्यता माना है। इसका मुख्य कारण यह है कि ऋग्वेद के उन स्थानों में प्राप्त किसी संकेत अथवा किसी अन्य भाष्यकार के द्वारा उन मंत्रों का रामकथापरक अर्थ सिद्ध नहीं हो पाया है।
इसी प्रकार ऋग्वेद में एक जगह इच्छवाकु शब्द तथा एक जगह दशरथ नाम का भी उपयोग किया गया है परंतु इन दोनो का इसमें कहीं भी भगवान राम से संबंध होने का कोई प्रमाण प्राप्त नहीं होता है।
इसी प्रकार और भी कई साहित्यिक ग्रंथ हैं जिसमें भले ही राम शब्द से मिलता जुलता शब्द उपयोग में लाया गया है, परंतु इसका किसी भी प्रकार से भगवान राम अथवा उससे संबंधित किसी घटना चक्र को स्पष्ट नहीं करता है।
यदि इन सभी बातों को ध्यान दिया जाये तो इसका अर्थ यहीं होता है कि, जिस भगवान राम को संसार के सनातनियों और हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा विष्णु अवतार के रुप में पूजा जाता है वह भगवान राम वाल्मीकी रामायण एवं पुराणों के द्वारा ही दिया गया है। जिसके माध्यम से हमे श्रीराम और उससे जूड़े घटनाओं का वर्णंन मिलता है।
ग्रंथो के अनुसार राम का जन्म
रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की एक पुत्री जिसका नाम शांता थी। कई वर्ष बित जाने के बाद भी लंबे समय तक उनका कोई और पुत्र नहीं हो रहा था जिसके कारण उन्होने पुत्र प्राप्ती के लिये पुत्रेश्टी यज्ञ कराया जिसके परिणाम स्वरूप उनके चार पुत्रों का जन्म हुआ।
जिसमें भगवान राम का जन्म उनके बड़े पुत्र के रुप में हुआ था, इस प्रकार भगवान राम जी चारों भाइयों में सबसे बड़े थे। शांता भगवान राम की सगी बहन थीं जो श्रीराम और उनके तीनों भाइयों की बड़ी बहन थीं। भगवान राम के जन्म का एक प्रमाण संस्कृत महाकाव्य रामायण में वर्णित है, जिसके अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम जयंती या राम नवमी का पर्व मनाया जाता है।
इस महाकाव्य के अनुसार इसी दिन भगवान राम का अयोध्या स्थित राजा दशरथ के महल में उनका जन्म हुआ था। इसी प्रकार कुछ प्राचिन हिंदू ग्रंथों में भगवान राम के बारे में कहा गया है कि वे त्रेता युग में जन्में थे। इन ग्रंथो के लेखकों का अनुमान लगभग 5,000 ईसा पूर्व का था। जो वर्तमान समय से लगभग 7000 वर्ष पहले का समय है।
भगवान राम के जन्म के संबंध में एक भारतीय पुरातत्वविद् हंसमुख धीरजलाल सांकलिया के अनुसार जो प्रोटो और प्राचीन भारतीय इतिहास में विशिष्ट है, यह सब शुद्ध अटकलें हैं।
परम्परागत रुप से भगवान राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है, जिसमें ब्राह्मण/ हिन्दू धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 43,20,000 वर्ष होते हैं, जिनमें कलियुग के 4,32,000 वर्ष तथा द्वापर के 8,64,000 वर्ष होते हैं।
राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले हुआ था। चूंकि कलियुग का अभी लगभग 5,500 ही हुआ है और राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय परंपरागत रूप से 11,000 वर्ष माना गया है।
अतः द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष $ राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष $ द्वापर युग के अंत से अबतक बीते 5,100 वर्ष = कुल 8,80,100 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 8,80,100 वर्ष पहले माना जाता है।
परंतु यह अनुमान केवल परंपरागत मान्यता पर ही आधारित है। कुछ जानकारों की माने तो इनमें जो भी समय ब्राम्हण/हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार बताया गया है, वह संख्या में नहीं अपितु श्लोक के माध्यम से बताया गया होगा? जिससे हो सकता है गणना करने में हमसे कुछ न कुछ त्रुटी हो रही होगी, क्योंकि जो वैज्ञानिक प्रमाण हैं वह लगभग 7000 वर्ष पुराने मिलते हैं।
परंतु इसी के संबंध में एक प्रसिध्द मराठी शोधकर्ता विद्वान डॉ. वर्तक के अनुसार वाल्मीकीय रामायण में एक जगह पर विन्ध्यांचल तथा हिमालय की ऊंचाई को समान बताया गया है। चूंकि विन्ध्याचल की ऊंचाई वर्तमान में लगभग 5000 फीट है और यह स्थिर है। जबकि हिमालय की ऊंचाई वर्तमान में 29029 फीट है तथा यह समय के साथ धिरे-धिरे बढ़ता ही जा रहा है।
दोनों की ऊंचाई का अंतर अभी ज्ञात अनुमान के अनुसार 24029 फीट है। कुछ विशेषज्ञों की माने तो उनके अनुसार हिमालय 100 वर्षों में 3 फीट बढ़ जाता है। अतः 24029 फीट बढ़ने में हिमालय को लगभग 8,01,000 वर्ष लगे होंगे। इस प्रकार यदि इस तथ्य को मानकर चलें तो अभी से करीब 8,01,000 वर्ष पहले हिमालय की ऊंचाई विन्ध्यांचल के समान रही होगी, जिसका उल्लेख वाल्मीकी रामायण में वर्तमानकालिक रूप में हुआ है।
इस तरह डॉ. वर्तक को एक दृष्टि से यह समय संभव लगता है, परंतु वे स्वयं ही यह मानते हैं कि इसके अलावा उनके पास पुष्टि करने का और कोई स्रोत नहीं हैं।
भगवान राम के जन्म का वैज्ञानिक अनुमान
भगवान राम के महाकाव्य कहानी की रचना की अगर हम बात करें तो, रामायण की जो वर्तमान स्वरूप हमें प्राप्त हुई है वह आमतौर पर 7 वीं और चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच की प्रतित होती है।
कुछ इतिहास के जानकारों की माने तो रामायण की जो मूल पाठ थी वह संभवतः प्राचीन काल में मौखिक रूप से रचित और प्रसारित किया गया रहा होगा। एक प्रसिध्द इतिहासकार ब्रॉकिंगटन के विचार की बात करें तो इसकी भाषा, शैली और काम की सामग्री के आधार पर इसे लगभग पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व की तारीख सबसे सटीक अनुमान माना है।
इसी प्रकार यदि भगवान राम के जन्म के समय पर पौराणिक रुप से शोध करने पर आदिकाव्य वाल्मीकी रामायण में रामजी के-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है
चैत्रे नावमिके तिथौ।।
नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।
इसका अर्थ यह है कि चैत्र मास की नवमी तिथि में पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (भगवान रामजी का जन्म हुआ)।
यदि इस प्रकार से वर्तमान खगोलिय स्थिति और खगोलज्ञाताओं के अनुसार इसका विष्लेषण किया जाये तो यहां केवल बृहस्पति तथा चन्द्रमा की स्थिति स्पष्ट होती है। यहां पर बृहस्पति उच्चस्थ है और चन्द्रमा स्वगृही है। इसी के आगे पन्द्रहवें श्लोक में सूर्य के उच्च होने का उल्लेख भी है।
इस प्रकार इसका विष्लेषण करने पर बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे इसकी स्थिति का पता चल जाता है। यदि बुध ग्रह की बात करें तो यह हमेशा सूर्य के पास ही रहता है।
अतः खगोलज्ञाताओं जो राषियों की गणना करना जानतें है उनके अनुसार सूर्य के उच्च (मेष में) होने पर बुद्ध का उच्च (कन्या में) होना असंभव है। इस प्रकार उच्च होने के लिए बचते हैं शेष तीन ग्रह मंगल, शुक्र तथा शनि। इसी कारण से प्रायः सभी विद्वानों ने रामजी के जन्म के समय में सूर्य, मंगल, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि को उच्च में स्थित माना है।
चूंकि ऐसा समय जो आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ था और इसी समय को धरती पर भगवान राम के जन्म होने का अनुमान माना गया है।
FAQ
राम सीता से कैसे मिले?
रामायण के अनुसार भगवान राम माता सीता से पहली बार जनकरपुर में स्थित उनके पुष्प वाटिका में मिले। रामायण में इस दृष्य का बहुंत विस्तार से वर्णन किया गया है।
राम की बेटी का क्या नाम था?
भगवान राम की बेटी के बारे में रामायण में किसी भी प्रकार का कोई जीक्र नहीं मिलता है परंतु भगवान राम की एक बड़ी बहन थीं जिसका नाम शांता बताया गया है।
राम जी का सगा भाई कौन था?
यदि देखा जाये तो भगवान राम कुल चार भाई और एक बहन थी परंतु उनके तीनो भाई उनकी सौतेली माताओं के पुत्र थे। इन चारों भाईयों के बिच अत्यंत प्रेम था ये एक दूसरे के भले के लिये कुछ भी करने को हमेषा आतुर रहते थे।
राम के प्यार में कौन पड़ गया?
जब भगवान राम माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास व्यतित कर रहे थे इसी समय दण्डकारण्य (बस्तर) में महाबली रावण की बहन जिसका नाम सूर्पनखा था उनके द्वारा भगवान राम को पहली बार देखते ही मन ही मन उनसे प्रेम कर बैठी।
राम का हिंदी में क्या अर्थ होता है?
यदि हम राम शब्द का विच्छेद करें तो रम् का अर्थ हो जाता है रमा हुआ अथवा समा जाना इसी प्रकार घम का अर्थ ब्रम्हाण्ड में उपस्थित रिक्त स्थान, इस प्रकार से राम का अर्थ हो जाता है संपूर्ण ब्रम्हाण्ड में रमा हुआ तत्व, अर्थात चराचर में विराजमान स्वयं ब्रम्ह।
राम से छोटा कौन था?
भगवान राम कुल चार भाई थे, चूंकि वे अपने भाईयों में स्वयं सबसे बड़े थे इस प्रकार सभी भाई (भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न) उनसे छोटे थे।
रावण की हाइट कितनी थी?
यदि महाबली रावण की हाइट के बारे में बात करें तो यह स्पष्ट नहीं बताया जा सकता है, परंतु वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की हाइट लगभग 18 फीट के आसपास बताया गया है।
राम को रामचंद्र क्यों कहा जाता है?
भगवान राम का वास्तविक नाम रामचंद्र है, जब वे पूरे संसार में प्रसिध्द हुये तब उन्हे पूजने वाले भक्तों के बिच वे राम के नाम से प्रसिध्द हुये, यहीं कारण है कि उन्हे रामचंद्र के नाम से भी जाना जाता है।
राम कितने भाई थे?
भगवान राम कुल चार भाई थे जिनके नाम राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न है।
शिव धनुष कितने थे?
भगवान षिव के धनुष का नाम पिनाक अथवा पिनाका था।
राम और रावण का क्या रिष्ता था?
यदि हम राम और रावण के रिष्ते की बात करें तो इन दोनो के मध्य दूर दूर तक किसी भी प्रकार का कोई रिस्ता नहीं था। जब माता सीता को रावण द्वारा छल से हरण कर लिया गया तब उनके मध्य घोर शत्रुता उत्पन्न हो गई।
14 वर्ष के लिए वनवास जाते समय भगवान राम की आयु कितनी थी?
रामायण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम को वनवास जाना पड़ा उस समय उनकी उम्र लगभग 27 वर्ष थी।
रामायण की उम्र कितनी है?
रामायण भगवान राम से संबंधित है, यदि शोधकर्ताओं की माने तो भगवान राम का जन्म रामायण के अनुसार ग्रह नक्षत्रों कि गणना करने पर 5114 ई. पूर्व माना जाता है। इस प्रकार वर्तमान समय से यह समय लगभग 7100 वर्ष पूर्व का समय है।
लंका से लौटने के बाद सीता का क्या हुआ?
जब लंकापति रावण का वध करने तथा माता सीता को वापस प्राप्त करने के बाद कुछ आमजन लोगों द्वारा अभद्रता पूर्वक माता सीता के पवित्रता पर प्रष्न चिन्ह लगाने पर अपनी प्रजा के बातों का मान रखते हुए भगवान राम ने पूनः माता सीता को वन में भेज दिया। जिसके बाद माता सीता महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में रहने लगीं, जब भगवान राम ने माता सीता को जंगल में भेजा उस समय वह गर्भवती थीं, माता सीता ने वहीं रहते हुये अपने पुत्रों लव और कुष को जन्म दिया।
अयोध्या का अंतिम राजा कौन है?
इस पर कुछ इतिहासकारों का मत अलग अलग है परंतु अधिकाषं लोगों का यही मानना है कि, अयोध्या में राजवंषो की बात करें तो कई राज वंषो ने यहां शासन किया है परंतु भगवान राम के वंष जिसे रघुवंष कहा जाता है इसमें अतिंम रुप से लगभग चैथी शताब्दी ई.पूर्व में सुमित्रा को माना जाता है। इनके बारे में कुछ जानकारों के अनुसार महापद्म नंद के द्वारा पराजित किया गया था।
रावण का गोत्र कौन सा है?
महाबली रावण की माता क्षत्रिय राक्षस कुल की थी वहीं इनके पिता ऋषि विश्रवा थे जोकि निःषदेह ब्राम्हण थे, इस प्रकार महाबली रावण का गोत्र सारस्वत ब्राम्हण था।
राम भगवान असली में कैसे दिखते थे?
भगवान राम के बारे में वाल्मीकि रामायण में वर्णन किया गया है कि उनका चेहरा चन्द्रमा के समान चमकिला, सौम्य और गोल था। उनकी आंखो के बारे में बताया गया है कि उनकी आखें कमल के समान बहुंत ही खूबसूरत थी। उनकी नाक के बारे में बताया गया है कि वह उनके चेहरे की तरह लंबी और सुडौल थी। उनके होठ के बारे में कहा गया है कि वह सूर्य के समान लाल और दोनो होंठ बराबर थीं।
राम सेतु कितने दिन में बना था?
राम सेतु के बारे में रामायण में वर्णन मिलता है कि इसके निर्माण में वानर सेना ने प्रमुख भूमिका निभाई जिसके फलस्वरुप यह केवल 5 दिनों में ही पूरा बन गया।
राम सेतु का पत्थर कैसे तैरता है?
रामायण के अनुसार नल और नील नाम के दो वानरों को यह वर्दान प्राप्त था की उनके द्वारा किसी भी पत्थर को छूने पर वह समुद्र में नहीं डूबेगंे जिसके पश्चात उन्होने सभी पत्थरों पर भगवान राम का नाम लिखकर उसे समुद्र में फेकना आरंभ किया इस प्रकार वे पत्थर तैरने लगे और सेतु का निर्माण पूर्ण हुआ। यहीं पर वर्तमान समय के अनुसार इसका वैज्ञानिक कारण भी बताया गया है जिसके अनुसार इन पत्थरों के अंदर छोटे छोटे छिद्र होते हैं जिसमें हवा भरे होतें है जिससे ये पानी में डूबने के बजाय सतह पर तैरते रहते हैं।
राम सेतु के बारे में विज्ञान क्या कहता है?
राम सेतु के बारे में वैज्ञानिकों का भी सोंच यहीं है कि इसकी सच्चाई को झूठलाया नहीं जा सकता। इसके कई कारण हैं जिसके वजह से वैज्ञानिक भी कुछ पैमानों पर इसकी पूष्टी करते हैं, राम सेतु के बारे में कहा जाता है कि इसे तैरने वाले पत्थरों से बनाया गया था, और हैरानी की बात यह है कि रामेष्वरम के आस पास बहुंत से ऐसे पत्थर पाये जाते हैं। इसी प्रकार सैटेलाईट से यदि इस स्थान को देखा जाये तो आज भी भारत से श्रीलंका को जोड़ती हुई एक रेखा दिखाई पड़ती है। यहां पर समुद्र इतना उथला हुआ है कि इसमें कहीं कहीं पर लोग पैदल भी चल सकतें हैं।
राम सेतु के बारे में नासा ने क्या कहा?
यदि हम राम सेतु के बारे में नासा के विचार सुने तो उन्होने अपने सैटेलाईट इमेज को सार्वजनिक करते हुये इस बात की पुष्टि कि है कि यहां श्रीलंका और भारत के मध्य प्राकृतिक पूल थी। उन्होने इसके धार्मिक मान्यता के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा है।
श्री राम का पूरा नाम क्या है?
भगवान राम का पूरा नाम रामचंन्द्र है।
राम का संस्कृत नाम क्या है?
यदि राम का संस्कृत अर्थ निकालें तो यह मनभावन होता है। इसी प्रकार इसका और भी कई अर्थ हाता है जैसे सुखदायक, सर्वोच्च।
राम की मृत्यु कब और कैसे हुई?
भगवान राम की मृत्यु के बारे में कुछ स्पष्ट रुप से नहीं है परंतु यह बताया गया है कि उन्होने सरयु नदीं में जल समाधी ले ली जिसके पश्चात वे अपने वास्तविक रुप में प्रगट होकर अपने धाम चले गये।
क्या सीता रावण की बेटी थी?
वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं मिलती है, परंतु और भी कई लोग हैं जिनके द्वारा रामायण लिखा गया है, इसी में से एक रामायण के बारे में बताया गया है कि माता सीता रावण की पुत्री थी जिसे रावण के मृत्यु के कारण बनने की भविष्यवाणी के वजह से मटके में भरकर अपने राज्य से दूर ले जाने की बात कही गई है। जो राजा जनक को अपने राज्य में सूखा पड़ने पर हल चलाने के दौरान मिली।
सीता पृथ्वी में क्यों जाती है?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता महाराज जनक को अपने भूमि पर हल चलाते हुये भूमि के अदंर गड़े घड़े से मिली थी। माना जाता है कि यहीं कारण है कि माता सीता अंत में भूमि में ही समा गईं।
राम की बहन कितनी थी?
रामायाण के अनुसार भगवान राम की एक बड़ी बहन थी और उसका नाम शांता था।
राम के तीनों मां का नाम क्या था?
भगवान राम जी के तीन माएं थी जिनके नाम कौषल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं।
रामायण में 14 साल तक कौन नहीं सोया?
रामायण के अनुसार जब भगवान राम माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष तक वनवास में थे उस समय लक्ष्मण जी 14 वर्षों तक नहीं सोये थे। कुछ जानकारों के अनुसार कहा जाता है कि उनके स्थान पर उनकी पत्नी उर्मिला सोती थीं।
लक्ष्मण किसका बेटा था?
लक्ष्मण राजा दषरथ और भगवान राम के सौतेली माता सुमित्रा के बड़े बेटे थे।
राम इंसान है या भगवान?
यदि रामायण की बात करें तो भगवान राम वास्तव में विष्णु के अवतार थे, उनको एक साधारण मनुष्य के रुप में इसी कारण जन्म लेना पड़ा था क्योंकि महाबली तथा महान षिवभक्त रावण को यह वरदान प्राप्त था की उसे संसार में कोई भी नहीं मार सकता था। परंतु वरदान मांगते समय अपने शक्ति के घमण्ड में उसने मनुष्य जाती की उपेक्षा की थी यहीं कारण था की रावण को केवल मनुष्य ही मार सकता था। इस प्रकार भगवान विष्णु को साधारण मनुष्य के रुप में जन्म लेना पड़ा था।
हनुमान अभी कहां है?
भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त महाबली अनुमान जी को माता सीता से अमरत्व का वर्दान प्राप्त है जिसके बारे में यह मान्यता है कि वह आज भी जीवित हैं और वर्तमान समय में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। इसके बारे में कई ग्रंथो में जिक्र किया गया है। इस पर्वत के बारे में बताया गया है कि यह हिमालय के उत्तर में स्थित है परंतु रामेष्वरम के पास भी इसी नाम से एक पर्वत है।
हनुमान का दुष्मन कौन है?
यदि हम हनुमान जी के दुष्मन के बारे में कहें तो इसके संबंध में कहीं भी उनके अलग से व्यक्तिगत दुष्मन होने की बात नहीं कहीं गई है, परंतु सुग्रिव जो की सूर्यपुत्र थे वे भगवान हनुमान के महाराज थे जिसके कारण हम यह मान सकते हैं कि जो सुग्रिव के शत्रु थे वे महाबली अनुमान के भी शत्रु थे। इसी प्रकार आगे चलकर उन्हे अपने प्रभु श्री राम मिले इस तरह जो भगवान राम के दुष्मन थे वे उनके भी दुष्मन थे।
राम कितने सुंदर थे?
भगवान राम के सुंदरता के बारे में वाल्मीकि रामायण में वर्णन किया गया है कि उनका चेहरा चन्द्रमा के समान चमकिला, सौम्य और गोल था। उनकी आंखो के बारे में बताया गया है कि उनकी आखें कमल के समान बहुंत ही सुदंर थी। उनकी नाक उनके चेहरे की तरह लंबी और सुडौल थी। उनके होठ के बारे में कहा गया है कि वह सूर्य के समान लाल और दोनो होंठ बराबर थीं।
राम का दूसरा नाम क्या है?
भगवान राम का दूसरा नाम ही उनका पहला नाम है अर्थात उनका वास्तविक नाम रामचन्द्र है, परंतु भगवान राम संसार में राम के नाम से प्रसिध्द हुये।
राम कहने से क्या होता है?
कहा जाता है कि राम शब्द एक ऐसा शब्द है जिसके नाम मात्र जपने से ही शरीर के साथ आत्मा की भी शुध्दि हो जाती है। बड़े बड़े धर्मात्मा विद्वानों ने माना है कि इनके नाम मात्र से ही समस्त संसारिक दुःखों से मुक्ति मिल जाती है।
कुंभकरण कितने फुट का था?
कुंभकरण जोकि महाबली रावण का छोटा भाई था, उसके बारे में यह वर्णन है कि ब्रम्हा से वर्दान के कारण वह हमेसा सोते रहता था। उसकी लंबाई के बारे में बताया गया है कि उसकी लंबाई 70 गज अर्थात 210 फीट की थी।
रावण का पूरा नाम क्या है?
रावण के नाम की यदि हम बात करें तो उसका वास्तविक नाम दषगृव था। रावण नाम उन्हे भगवान षिव जी के द्वारा दया गया था।
रावण की मां कौन सी जाति की थी?
महाबली रावण की माता जी का नाम कैकषी थी और वह क्षत्रिय राक्षस कुल की थीं।
सीता असल में किसकी बेटी थी?
माता सीता राजा जनक की सबसे बड़ी पुत्री थी। परंतु इनके बारे में रामायण में बताया गया है कि माता सीता महाराज जनक को खेत में हल चलाते हुये भूमि के अदंर दबे घड़े में मिलीं थीं।
राम का नाम किसने रखा?
भगवान राम का नाम रामचन्द्र महर्षि वषिष्ठ के द्वारा रखा गया था।
माता सीता की मृत्यु कैसे हुई?
माता सीता जी की मृत्यु नहीं हुई थी अंतिम समय में वे धरती में समा गई थी। इस संबंध में यह कहा जाता है कि वे धरती से ही राजा जनक को प्राप्त हुई थीं और अंत में धरती में ही समा गईं।
हनुमान जी की बहन का नाम क्या है?
महाबली हनुमान जी की बहन के बारे में किसी प्रकार की जानकारी रामायण अथवा इससे संबंधित ग्रंथो में नहीं मिलती है।
हनुमान जी की पत्नी का क्या नाम है?
वैसे तो महाबली हनुमान बाल ब्रम्हचारी हैं परंतु शास्त्रों के अनुसार उन्हे भी अपने जीवन में तीन बार शादी करनी पड़ी थी ये शादी कुछ विषेष परिस्थितियों के कारण हुई थी। इसमें सबसे पहली शादी सूर्यदेव की पुत्री सुर्वचला से दूसरा विवाह रावण की पुत्री अनंगकुसुमा से और तीसरा विवाह वरुण देव की पुत्री सत्यवती से हुआ था। ये तीनों ही शादी सयोंग वष किसी कारण से हुये थे। महाबली हनुमान इन शादियों के बाद भी अपने वैवाहिक संबंधो का निर्वाह नहीं किया तथा हमेषा ब्रम्हचर्य का ही जीवन व्यतित किया, और मान्यता है कि आज भी कर रहें हैं।
हनुमान जी के माता-पिता का क्या नाम है?
महाबली भगवान हनुमान जी के पिता केसरी और माता का नाम अंजनी है। इनके अध्यात्मिक पिता पवन देव हैं।
हनुमान जी के पुत्र का क्या नाम है?
महाबली हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज है, मान्यता है कि इनका जन्म भगवान हनुमान के पसीने से हुआ था।
रावण के पास कौन सा धनुष था?
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाबली रावण के पास एक शक्तिषाली धनुष था जिसका नाम पौलत्स्य था।
सबसे शक्तिषाली धनुष कौन था?
मान्यता है कि सबसे शक्तिषाली धनुष भगवान षिव का पिनाक अथवा पिनाका था।
राम के आखिरी वंषज कौन थे?
भगवान राम के आखिरी वंष जिसे रघुवंष कहा जाता है इसमें अतिंम रुप से लगभग चैथी शताब्दी ई.पूर्व में सुमित्रा को माना जाता है। परंतु वर्तमान समय में कई ऐसे राज परिवार हैं जो स्वयं को भगवान राम के पुत्र लव अथवा कुष से जोड़कर बताते हैं।
सीता किस उम्र में गर्भवती हुईं?
माता सीता के बारे में यह कहा जाता है कि, जब उनका विवाह भगवान राम से हुआ उस समय उनकी उम्र 17 वर्ष थी और इसके पश्चात उन्हे चैदह वर्ष का वनवास जाना पड़ा जब वे वनवास से वापस आये उसके कुछ समय पश्चात ही माता सीता गर्भवती हुई थीं। इस प्रकार यदि हम वर्षों की गणना करें तो यह लगभग 32 वर्ष के आसपास का समय होता है जब माता सीता गर्भवती हुईं।
लंका में सीता कितने दिन थी?
यदि वाल्मीकि रामायण की बात करें तो इसके अनुसार माता सीता लंका के अषोक वाटिका में 435 दिनों तक रही थीं।
रामायण का पुराना नाम क्या है?
रामायण का कोई अलग नाम नहीं है परंतु विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखे गये रामायण को कुछ नामों से सबांेधित किया है जैसे तुलसी दास जी द्वारा लिखा गया रामायण को रामचरित मानस कहा जाता है।
अयोध्या का पुराना नाम क्या है?
अयोध्या का पुराना नाम तो वैसे अयोध्या ही था परंतु समय के साथ इसके और कई नाम हुये जैसे साकेत, अयुध्दा वर्तमान समय में इसका नाम फिर से अयोध्या कर दिया गया है।
क्या राम ही ईष्वर हैं?
धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान राम को विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि उन्हे रावण के वध के लिये धरती पर मनुष्य के रुप में जन्म लेना पड़ा था।
रावण की लंका अभी कहां है?
महान षिवभक्त रावण की लंका वर्तमान समय में श्रीलंका में है।
राम सेतु कैसा दिखता है?
वर्तमान समय में राम सेतु को सैटेलाइट की मदद से देखा जा सकता है परंतु पृथ्वी से इसे स्पष्ट देख पाना संभव नहीं है क्योकि यह लगभग समुद्र के पानी में डूब गई है।
राम सेतु की दूरी कितनी है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार इसकी लंबाई 100 योजन और चैड़ाई 10 योजन है, वहीं वर्तमान समय में कि.मी. के हिसाब से देखा जाये तो ये जहां से भूमि समाप्त होती है उस स्थान से लगभग 36 कि.मी. है।
राम सेतु बनाने में कितने दिन लगे थे?
रामायण के अनुसार राम सेतु के निर्माण में 5 दिनों का समय लगा था।
क्या भगवान राम काल्पनिक हैं?
इस संबंध में लोगों का अलग अलग मत है, परंतु अधिकाषं विद्वानों की माने तो इसे झूठलाया नहीं जा सकता क्योंकि उनके बारे में पौराणिक मान्यताएं विद्यमान हैं, ग्रंथ मौजूद हैं, ग्रंथो के अनुसार जो स्थान बताये गये है वह लगभग सभी दिखाई देते हैं। भले ही समय के साथ उसमें कुछ हद तक परिवर्तन आ गया हो। कुछ जानकारों की माने तो हो सकता है समय के साथ इसमें कुछ किवंदतियां जूड़ गई हों। परंतु भगवान राम के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है।
क्या राम सेतु पत्थरों पर लिखा है?
रामायण के अनुसार जब राम सेतु का निर्माण किया गया तब सेतु निर्माण में उपयोग किये गये पत्थरों पर भगवान राम का नाम लिखा गया था। परंतु वर्तमान समय में ऐसा दिखाई नहीं देता है। कुछ जानकारों की मानें तो हो सकता है यह समय के साथ मिट गईं हों।
लक्ष्मण 14 साल तक क्यों नहीं सोते थे?
लक्ष्मण जी भगवान राम के छोटे भाई थे जब भगवान राम वनवास गये थे तब उनकी माता सुमित्रा ने लक्ष्मण के इच्छा का मान रखते हुये उसे भी भगवान राम के साथ वन जाने और उसकी सेवा करने का आदेष दिया जिसके पश्चात वे भी वन में साथ चले गये इस दौरान लक्ष्मण जी 14 वर्षों तक नहीं सोये और भगवान राम की सेवा में लगे रहे।
क्या राम जी सच में थे?
हिदंू ग्रंथो और उन ग्रंथो में मिले सबूतों को झूठलाया नहीं जा सकता, इतने पात्र और स्थान काल्पनिक नहीं हो सकते, बल्की इसके विपरित इन स्थानों में से बहुंत से स्थानों को खोजा भी जा चुका है। यदि कुछ स्थानों की स्पष्ट जानकारी नहीं है तो वह है समय के साथ उनमें आये हुये भौगोलिक परिवर्तन।
कलयुग में हनुमान जी कहां है?
रामायण ग्रंथ के अनुसार कलयुग में महाबली हनुमान जी गंधमादन पर्वत में विराजमान हैं।
राम का सबसे बड़ा दुष्मन कौन है?
वैसे तो भगवान राम कोमल तथा सौम्य स्वभाव के थे परंतु माता सीता का छल से हरण करने के पश्चात रावण उनका सबसे बड़ा दुष्मन बन गया।
हनुमान जी दिखने में कैसे थे?
गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान जी का वर्णन किया है जिसके अनुसार उन्होने महाबली हनुमान जी को बुध्दिमान, और महा बलषाली बताया है, उनका रंग सुनहरा है, कानों में कुण्डल धारण किये हुये हैं। यदि उनके शारीरिक बनावट की बात करें तो वह हट्टे-कट्टे थे उनका चेहरा गुलाबी और लंगूर जैसे लंबी थूथन वाला था, धनुषाकार पूंछ और चतुर प्रवृत्ति के थे।
सीता जी का असली नाम क्या है?
माता सीता का वास्तविक नाम सीता ही था परंतु राजा जनक के पुत्री होने के नाते जानकी अथवा जनक नंदनी भी कहा जाता था।
राम का नाम दो बार क्यों लिया जाता है?
भगवान राम का नाम दो बार लिये जाने का अपना एक वैदिक दृष्टिकोण है जिसके अनुसार पूर्ण ब्रम्ह का मात्रिक गुणांक 108 माना गया है। और हिंदी वर्ण माला के अनुसार र 27 वां अक्षर आ 2 मात्रा, म 25 वां अक्षर है, इस प्रकार इसका एक राम का जोड़ 54 होता है और जब हम दो बार राम का नाम लेते हैं तो यह 108 का जप हो जाता है।
रावण का पुत्र कौन है?
रावण के कुल छः पुत्र थे जिनमें मन्दोदरी से दो पुत्र मेघनाद और अक्षय कुमार थे, उनकी दूसरी पत्नी दम्यमालिनी से उसके चार पुत्र जिनके नाम अतिकाय, त्रिषरा, नरान्तक तथा दवान्तक थे। परंतु कुछ जानकारों के अनुसार उनके सात पुत्र और एक पुत्री माना गया है।
रावण की बेटी का नाम क्या है?
महाबली रावण की एक बेटी थी जिसका नाम सुवर्णमछा था।
रावण का बड़ा भाई कौन था?
महाबली रावण के बड़े भाई कुबेर थे, जो उनके सौतेले भाई थे।
सीता कौन सी जाति की थी?
माता सीता राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी और वह नेपाल की मैथिली समाज से आई थी।
सीता जी के भाई का नाम क्या था?
सीता जी के भाई के संबंध में लोगों के अलग अलग विचार है जैसे की माता सीता जी पृथ्वी से उत्पन्न हुई थीं इस प्रकार मंगल उनके भाई है क्योंकि उन्हे भी पृथ्वी से उत्पन्न माना गया है। वहीं कुछ का मानना है कि उनका छोटा भाई था जिसका नाम कुषध्वज था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि गोस्वमी तुलसी दास द्वारा लिखी एक ग्रंथ में लक्ष्मी निधि नाम के एक भाई का वर्णन किया गया है।
हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?
महाबली हनुमान जी को माता सीता के द्वारा अमरत्व का वरदान प्राप्त है जिसके कारण उनकी मृत्यु असंभव हैं। परंतु कुछ मान्यताओं के अनुसार जब बाल्यकाल में भगवान हनुमान सुर्य को फल समझकर खाने के लिये आगे बढ़े तब उन्हे रोकने के लिये उनपर प्रहार किया गया था जिसके बाद वे मुर्छित हो गये थे। संभवतः कुछ लोगों के द्वारा इसे महाबली हनुमान जी के मृत्यु से जोड़ दी जाती है। जो की सही नहीं है।
परशुराम जी के धनुष का नाम क्या था?
भगवान परषुराम जी के धनुष का नाम जोकि भगवान षिव का धनुष था उसका नाम पिनाक अथवा पिनाका था।
राम का ससुराल कहां पर है?
भगवान राम का ससुराल मिथिला नरेष राजा जनक के जनकपुर को माना जाता है जो की वर्तमान समय में नेपाल मे है।
राम सेतु कब टूटा?
राम सेतु के बारे में कहा जाता है कि यह वर्तमान समय में भी मौजूद थी परंतु 1480 ईस्वी में आये एक चक्रवाती तुफान के कारण इसे बहुंत नुकसान हुआ और यह कई जगहों से समुद्र में डूब गया है।
राम के मरने के बाद क्या हुआ?
भगवान राम के सरयू नदी में जल समाधी लेने के बाद उनके भाईयों ने राजकाज संभाला आगे चलकर इनके भी बेटे हुये इस प्रकार इनकी बागडोर अगली पिढ़ी के उपर आ गई चारों भाईयों के कुल 8 पुत्र हुये जिन्होने अपने कुषल शासक होने का परिचय देते हुये अपने राज्य का विस्तार कर अपनी शक्ती बढ़ाये और राज काज करने लगे।
राम के मरने के बाद हनुमान का क्या हुआ?
जैसे ही भगवान राम ने जल समाधी लिया उसके पश्चात हनुमान जी गंधमादन पर्वत को चले गये।
राम और हनुमान में कौन बड़ा है?
महाबली हनुमान भगवान राम के अनन्य भक्त थे, उनका जन्म मनुष्य रुप में जन्मे भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ था।
हनुमान जी की गदा का वजन कितना है?
महाबली अनुमान जी के गदा का ठीक ठीक वजन के बारे में जानकारी नहीं मिलती है परंतु कुछ मान्यताओं के अनुसार उनके गदा का वजन 21 टन माना गया है।
लक्ष्मण की कितनी शादी हुई थी?
भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी का विवाह माता सीता के छोटी बहन उर्मिला से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार इनके इसके अलावा और दो विवाह होना बताया गया है परंतु इसमें कितनी सच्चाई है यह नहीं कहा जा सकता है।
लक्ष्मण पिछले जन्म में क्या थे?
लक्ष्मण जी भगवान राम के समय में लक्ष्मण के रुप में थे। परंतु जब भगवान अपने असली रुप अर्था विष्णु के रुप में होतें हैं तब लक्ष्मण जी उनके शेषनाग के रुप में होते हैं।
क्या लक्ष्मण ने कभी सीता का चेहरा नहीं देखा?
लक्ष्मण जी ने कभी भी माता सीता का चेहरा नहीं देखा था इसके संबंध में रामायण में वर्णन मिलता है कि जब माता सीता के हरण हो जाने पर भगवान राम के द्वारा उनके कुण्डल के बारे में परिक्षण हेतु पुछने पर लक्ष्मण जी के द्वारा उन्हे न पहचान पाने की बात कही जाती है।
हनुमान जी की गदा का नाम क्या है?
भगवान हनुमान जी के गदा का नाम कौमोदकी है, यह गदा उन्हे कुबेर के द्वारा दिया गया था।
हनुमान जी पहले जन्म में कौन थे?
महाबली हनुमान जी भगवान षिव के ही अवतार हैं।
लंका में युध्द कितने दिन चला?
हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार लंका में भगवान राम और रावण के मध्य युध्द 10 दिनों तक चला था।
लंका में सीता की रक्षा किसने की?
जब माता सीता को छल से हरण कर रावण द्वारा उन्हे अषोक वाटिका ले जाया गया वहां त्रिजटा नाम की एक राक्षसी थी, जिन्होने माता सीता को अपनी पुत्री मानकर उन दूख के दिनों में उनकी दुःख बांटती थीं।
क्या रामायण का कोई प्रमाण है?
भगवान राम और उनके मुख्य शत्रु रावण के वैसे तो अनेकों प्रमाण हैं परंतु समय के साथ वह धुंधली हो गई है यदि उनके सबसे बड़े प्रमाण की बात करें तो वह है राम सेतु।
राम जी के ससुर का क्या नाम था?
भगवान राम जी के ससुर का ना जनक था जो मिथिला के राजा थे।
क्या राम सेतु आज भी है?
राम सेतु आज भी है और इसे सैटेलाइट की सहायता से स्पष्ट देखा जा सकता है। परंतु समय के साथ होने वाले भौगोलिक परिवर्तन और समुद्री तुफानों के कारण इसे बहुंत नुकसान हुआ है, जिससे वर्तमान समय में इसका अधिकाषं हिस्सा पानी में डूब गया है और सैटेलाइट की सहायता से ही देखा जा सकता है।
असली रामायण कौन सी है?
वैसे तो बहुंत से विद्वानों द्वारा रामायण की रचनायें की गई हैं परंतु हिंदूओं द्वारा वाल्मीकि रामायण एवं गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस को ही इसली रामायण माना जाता है।
रामसेतु पर विज्ञान क्या कहता है?
यदि विभिन्न शोधों की बात करें तो रामसेतु पर विज्ञान का मत है कि यह मनुष्य द्वारा निर्मित भी हो सकता है, क्योंकि रामेष्वरम के आसपास तैरने वाले इस प्रकार के खास पत्थर बहुतायत में पाये जाते हैं। इसके अलावा भारत से श्रीलंका तक समुद्र में एक रेखा दिखाई पड़ती है जो इस बात की पुष्टि करती है कि, संभवतः यहां कोई निर्माण रहा होगा।
भगवान राम ने राम सेतु क्यों तोड़ा?
मान्यता है कि भगवान राम जी ने विभिषण के कहने पर भविष्य में किसी प्रकार के हमलों से लंका को बचाने के लिये ऐसा करने का निवेदन किया, जिसपर भगवान राम ने राम सेतु को तोड़ दिया।