मैं अभी व्यस्त हूँ – ESSAY IN HINDI

मैं अभी व्यस्त हूँ अथव मैं अभी बहुंत व्यस्त हूंॅ यह शब्द आपने कई बार अपने आस पास के लोगों से सुना होगा। यदि मनुष्य को खोखला करने वाला कोई रोग है तो वह है मूड नहीं है। का बहाना। जो मनुष्य काम ठीक प्रकार कर लेता है वह कर्म वीर और जो काम टालता रहता है वह कर्म भीरु कहलाता है।
आपने पप्पू पास हो गया है। यह विज्ञापन देखा होगा। परंतु मुझे इसके उलट बात करनी है की पप्पू फेल हो गया इसकी।
अगर हम पप्पू की बात करें तो पप्पू को आखिरी पलों में ही सब काम करने की आदत है और वो भी बड़ी धीमी गति से। पप्पू की परीक्षाएं चल रहीं थीं। अगले दो दिनों के बाद अंग्रेजी की परीक्षा देनी थी। पप्पू ने सोचा दोपहर की एक दो घंटे सो जाता हूॅ, सो रात को ठीक से जाग सकूंगा। परंतु पप्पू तो पप्पू है पप्पू सोकर चार बजे उठा। अभी उसका पढ़ने का कुछ मूड बन नहीं रहा था। इसलिए उसने सोचा क्लब में जाकर कुछ देर बैडमिन्टन खेल आता हूँ, फ्रेष हो जाउंगा।
पप्पू बैडमिन्टन खेलकर छः बजे घर वापिस आया तो उसका मन हुआ कि स्नान कर लेता हूँ, फिर उसने एक घंटा स्नानघर में लगा दिया। शाम को सात बजे पप्पू ने पढ़ाई करने के बारे में सोचा। पर अब उस बिचारे पप्पू को बहुंत जोर से भूख लग गई थी इसलिए उसने मम्मी से कहा कि उसे कुछ खिला दे। फिर पप्पू ने आलू का पराठा, इडली सांभर और पुलाव पर अपना हाथ साफ किया। बेटे को पेट भरकर खाते देखकर ऐसी कौन सी माता नहीं होगी जीसे प्रसन्नता न हो ये देखकर मम्मी बहुंत खुश हो गई। परंतु अब खाने के बाद पप्पू को आलस आने लगा था। इसलिए पप्पू ने सोचा कि बाहर चक्कर मारकर आया जाय। मित्रों के साथ गपशप करके पप्पू दस बजे घर लौटा और पढ़ने के लिए मेज पर जम गया। अचानक उसे याद आया कि उसे तो आई.एम.पी. पूछने के लिए अपने दोस्त को फोन करना था।
अब रात के ग्यारह बज गए थे। फ्रेश होने के लिए पप्पू ने मम्मी को चाय बनाने का हुक्म दे डाला। पर घर में दूध नहीं था। दूध की व्यवस्था करने में पप्पू की मम्मी को पौना घंटा लग गया। एक घंटे तक पप्पू चाय की प्रतीक्षा में निष्क्रिय पड़ा रहा। चाय तो आ गई पर पप्पू की आँखो में भयंकर नींद घिर आई थी। पप्पू ने अलार्म रखकर तीन बजे जागने का निर्णय किया। अलार्म की धंटी तो बजी परंतु पप्पू ने नींद में उसे बंद कर दिया। पप्पू सुबह के साढ़े सात बजे तक सोता रहा। अब पढ़ाई न करने के कारण वह बेहद टेंशन में आ गया था। उसका सर दर्द हो रहा था अतः वह बिना पढ़े ही परीक्षा देने गया।परीक्षा परिणाम आया तब? पप्पू फेल हो गया था।
परंतु क्या यह केवल एक पप्पू की बात है? जी नहीं! समय-समय पर मैं आप यानि हमस ब ही इस प्रकार की भूल करते रहते हैं। यह भूल है यह काम अभी नहीं बाद में करेंगे। यानि अपने आपको दिलासा देकर हम काम करना छालते रहते हैं।
काम न करने के लिए काम टालने के लिए काम स्थगित करने के लिए हमारे पाष बेशुमार बहानों का अक्षय भंडार भरा हुआ है। ऐसे बहाने हम लोगों के सामने तो रखते ही हैं बल्कि अपने सामने भी ऐसे बहाने रखकर खुशी-खुशी अपना नाम कामचोरों की सूचि में दर्ज करवादेते हैं।
नौकरी में धंधे व्यवसाय में असफल होने वाले पप्पू काम को टालने की आदत के कारण ही जीवन में सफलता के अधिकारी होने का अवसर खो देने पर आँसूओं से अपने चेहरे धोते रहते हैं। ये लोग अपनी असफलता के लिए भाग्य को समय की प्रतिकूलता को लोगों को समाज को या सरकार को साथ न मिल पाने के कारण दोष देते रहते हैं। मनुष्य नामक यह प्राणी अपने आपको बहलाने में तथा बहकाने में जितना समय व्यतीत करता है। उससे यदि बीसवाँ भाग समय भी अपने कामों को करने के लिए प्रयुक्त करे तो मनुष्य का अपना जीवन ही नहीं बल्कि संसार की तसवीर भी बदली जा सकती है।
मनुष्य को यदि खत्म करने वाला कोई रोग है तो वह है मूड नहीं का बहाना। जो काम करना टालता रहता है वह कर्मभीरु होता है। काम को साधने के लिए कष्टों को गिनने की जगह कष्टों को छोड़ देने की आदत डालनी पड़़ती है। काम टालने का मतलब है अपने आप ही सफलता के उस सर को गंजा कर देना।

इन्हे भी देखें

1.  आओ मेरी निंदा करो

2.  निंदा एक विलक्षण प्रतिभा

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