हेराल्ड ट्रिब्यून के आर्थिक समाचार के पृष्ठ पर एक बड़ा सा विज्ञापन छपा था जिसमें लिखा था कि एक ऐसे आदमी की जरुरत है जिसमें असामान्य श्क्ति व अनुभव हो। इसके लिए एक सरल व्यक्तित्व वाले चार्ल्स टी क्युबेलिस नामक सज्जन ने आवेदन किया था।
यह विज्ञापन बॉक्स न. के मार्फित या अतः यह पता लगाना बहुत मुष्किल था कि वह कौनसी कंपनी होगी। परंतु इंटरव्यू से पहले क्युबेलिस ने वॉलस्ट्रीट में घूमघूम कर खूब मेहनत से उस कंपनी के विषय में काफी जानकारी प्राप्त कर ली थी।
जब इंटरव्यू चल रहा था तब इस शख्स ने अपनी बात कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की आपकी कंपनी से यदि मैं जुड़ सका तो यह मेरा सद्भाग्य होगा और मुझे इसका गर्व रहेगा।
मैं जानता हूँ कि आज से ठीका 28 वर्ष पूर्व जब आपने इस कंपनी को शुरु किया था तब केवल एक छोटे से कमरे में एक कुर्सी-मेज और एक स्टेनोग्राफर बस इतने से कम साधनों से इसका आरंभ किया था। यह बात सच है न? क्या यह वहीं कंपनी है?
इस दुनिया में प्रत्येक सफल व्यक्ति को अपने जूझने के दिनों को याद करना अच्छा लगता है। जो व्यक्ति वहाँ पर इंटरव्यू लेने बैठा हुआ था, वह भी कोई अपवाद तो नहीं था।
उसने तुरंत ही अपने उन दिनों की बात करनी शुरु कर दी कि किस प्रकार उसने केवल साढ़े चार सौ डॅालर की छोटी सी रकम से अपने मन के विचार को व्यवहार में परिणित का दिया था। उस समय सब लोग उसका कितना मजाक बनाते थे और बात बात में किस प्रकार उसे मायूसी झेलनी पड़ती थी।
छुट्टी के दिन तथा रविवार को वह किस प्रकार सोलह सोलह घंटे काम करता इतनी सब विडंबनाओं में से निकलकर आज उसने वॉल स्ट्रीट में इतनी अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली थी कि बड़े-बड़े अमीर लोग उसकी सलाह लेने आने लगे।
वह अपनी प्रशंसा सुनकर खूब खुश हो गया था तथा उसकी खुशी का मूल कारण यह था कि अपने बारे में बात करके उस याद को ताजा करने में उसे आनंद प्राप्त होता था।
आखिर में उसने मि. क्युबेलिस से उसके अनुभव के बारे में पूछकर आवश्यक जानकारी प्राप्त की तथा अपनी कंपनी के वाइस प्रसिडेंट को बुलाकर बताया हमें जिस असमान्य शक्ति व अनुभवी व्यक्ति की आवश्यकता थी वो ये है।
मि. क्युबेलिस ने कंपनी के तथा उसके मालिक के बारे में जो सूचनाएं प्राप्त करने की तकलीफ की थी उसी ने उसे मालिक के समक्ष बात करने की प्रेरणा प्रदान की तथा कुछ अधिक बोले बिना भी उसका ऐसा प्रभाव पड़ा कि साक्षात्कार लेने वाला प्रसन्न हो गया।
इस संदर्भ में फ्रैंख् फिलॉस्फर ला रोच पाउ कोल्ड का कथन है कि यदि आपको अपने दुश्मन बनाने हों तो आप स्वयं उंचाई पर जाने का प्रयत्न करना परंतु यदि आपको मित्रों की आवश्यकता हो तो उन्हें अपने से उपर जाने देना।
हमें हमारा अहंकार इसलिएि उंचा चढ़ा देता है कि यह हमें उपर से जमीन पर पटकने की वेदना का अहसास करा सकें अहंकार नशा लेशमात्र भी शराब से कम नहीं होता।
अतः यदि हम दूसरों को जीतना चाहते हैं तो इसका एक सुंदर नियम यह है कि हम मितभाषी बनें तथा सामने वाले व्यक्ति को खुलकर बात करने का अवसर प्रदान करें। हाँ जब कभी ऐसा अवसर प्राप्त हो जब इस अवसर का लाभ लेने वाले को भी समझदारी तथा संयम का आसरा लेना अवष्य याद रखना चाहिए।
शब्द अद्भुत शक्ति है। इसका स्वमी बनने की उतावलपन न करके इसका उपासक बनकार शब्द को वष में करना चाहिए। जिसका स्व पर नियंत्रण होता है, वही शब्द पर नियंत्रण रख सकता है।
हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा बोलना सीखे, परंतु क्या वास्तव में हम जीवन भर बोलना सीख पाते हैं? मनुष्य के बोलने तथा चलने की अदक्षता ही विश्व की अनेक समस्याओं तथा विसंवादिता का मूल कारण है। सुनना भी एक कला है। इस दुनिया में सुनने के लिहाज से अनपढ़ लोगों की संख्या बेशुमार है।