इमानदारी की सिमा – ESSAY IN HINDI

इमानदारी की सिमा नाम के इस निबंध में एक बच्चे की इमानदारी को दिखाया गया है जोकि ऐसे बच्चों के प्रति अपकी सोंच बदल देगी। बस स्टैंड के पास एक छोटा सा लड़का माचिस की डिबिया बेचकर भरण पोषण करता था। एक दिन उसने सड़क पर चलते हुए एक आदमी से माचिस खरीदने की प्रार्थना की। परंतु उस आदमी ने मना कर दिया। उस आदमी के मना करने के बाद भी वह छोटा लड़का उस आदमी के पीछे-पीछे चलता रहा और उसे आधी कीमत पर माचिस लेने की जिद करता रहा। लड़के के बार-बार आग्रह करने पर आदमी को उस पर दया आ गई, उसने अपनी जेब में हाथ डाला तो देखा कि उसके पास चिल्हर नहीं है। अतः उसने बच्चे को आश्वासन दिया कि वह कल उसकी माचिस खरीद लेगा। परंतु सायद कोई कारण रहा होगा की बच्चे ने आज ही माचिस खरीदने की विनती करी तो उस आदमी ने माचिस का डिब्बा खरीदकर उसे पचास रुपये दिया तथा इशारे से उसे अपने घर दिखाकर कहा कि जब पैसे हो जाएं तब वह उसे पहुंचा दे।

जब वह व्यक्ति घर पहुंचा, पहुंचने के बाद उस आदमी ने काफी देर तक उस लड़के के आने की प्रतिक्षा की परंतु वह लड़का शाम तक नहीं आया। अंधेरा छाने लगा था कि एक फटेहाल लड़का उस आदमी के घर के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया। यह उस लड़के का छोटा भाई था जो अपने भाई के कहने पर पैसे वापस करने आया था। उसने विनयपूर्वक पूछा की क्या आप ही ने मेरे बड़े भाई से माचिस का पैकेट खरीदा था। तो उसने जवाब दिया हॉ मैंने ही उसे पचास रुपये दिये थे और बचे हुए पैसे वापिस देने के लिए कहा था। उस लड़के ने बड़े ही विनम्रता से कहा आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ये आपके बाकी पैसे हैं, ले लीजिए। माफ करिए मेरा बड़ा भाई आपको पैसे लौटाने नहीं आ सका। जब वह चिल्हर कराकर आपको पैसे लौटाने आ रहा था तब एक घोड़ागाड़ी ने उसे टक्कर मार दी और वह गिर पड़ा। उसके हाथ-पैर में बहुॅत चोटें लगी हैं। वह खुद नहीं आ सका इसीलिए उसने मुझे आपको पैसे लौटाने भेजा है।

एक गरीब ईमानदार बच्चे की करुण दशा ने उस आदमी का हृदय पिघला दिया। वह तुरंत ही उस लड़के के साथ अस्पताल दौड़ गया। माचिस बेचनेवाला बच्चा अपनी अंतिम घड़ियॉ गिन रहा था। उसने बिस्तर मे पड़े-पड़े उस भले आदमी से कहा की मेरा यह भाई अब किसके सहारे जीएगा। मेरे अलावा इसका कोई नहीं है।

डस आदमी का मन भर आया। उसने मरते हुए लड़के का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा बेटा! तुम अपने भाई की चिंता मत करना। इसकी जवाबदारी अब मेरी है। उस लड़के ने अंतिम श्वास लेते हुए कहा भगवान आपका भला करे। यह कहकर उस घायल बच्चे ने सदा के लिए अपनी ऑखें बंद कर ली। स्वेट मार्टुन के द्वारा वर्णन किए गए इस प्रसंग से हमारे हृदयों में मानवता का दीप प्रज्वलित हो जाता है।

आज त्याग का स्थान गिनती ने तथा कर्त्तव्य परायणता का स्थान कमजोरी ने ले लिया है। दुनिया में निर्धन अमीर अधिक हैं तथा चरित्र से चरित्र सम्पन्न निर्धन अधिक हैं। महान कौन है। जिसने समग्र मानवजाति के लिए कुछ किया हो, जिसने दुनिया के दुःखों को घटाने का संनिष्ठ प्रयास किया हो, जिसने अपने बल का उपयोग अबलाओं तथा अनाभों के उत्कर्ष के लिए किया हो, जिसने नयी-नयी औषधियों की खोज करके मानव जाति को रोगमुक्त करने में सहायता की हो, जिसने दुनिया के लोगों को अपना भाई-बहन मानकर उनकी सुख-सुविधाओं के लिए कुछ किया हो, जो किसी व्यक्ति को आपत्ति में पाकर उसकी सहायता के लिए दौड़कर गया हो, जिस ने अपने राष्ट्र के उध्दार के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया हो। इस प्रकार के ईमानदार मनुष्यों के सत्कार्य ही उनकी महानता को नापने के वास्तविक मापदण्ड हैं। किसी भी देष का इतिहास राजा-महाराजाओं की तवारीखों से नहीं बनता बलकी वास्तविक इतिहास उनके मूक तथा महान कार्य करने वाले ईमानदार वैज्ञानिकों, कलाकारों, इंजीनियरों श्रेष्ठ साहित्यकारों तथा चरित्रशील मनुष्यों के गौरवपूर्ण कार्यों के प्रदान स्वरुप बनता है।

संसार को असार मानने वाले नहीं बलकी संसार को सारवान बनाने में संलग्न श्रध्दापूर्ण चरित्रशील सज्जन ही वास्तविक धर्मपुरुष होते हैं। जिसे धन से परमार्थ की दृष्टि मिले वो धनवान अन्यथा सभी निर्धन है। रोम के एक राजसी कुटुंब के व्यक्ति ने नबीरा सिसरो ने कहा तुम हलके कुल के हो, अतः मेरी व तुम्हारी कैसे तुलना हो सकती है।

तब सिसरो ने गर्व से भरकर कहा था की मेरे कुल की कुलीनता मुझसे शुरु होती है जब कि तुम्हारे कुल की कुलीनता तुम्हारे साथ समाप्त हो जाएगी। इसलिए मेरी व तुम्हारी बराबरी हो ही नहीं सकती, यह बात बिलकुल सही है।

प्रत्येक सदी उसके चरित्रवान गृहस्थी तपस्वियों से उज्ज्वल होती है। धर्मशील तपस्वी जितने ही कर्मशील तपस्वी भी उतने ही महान होते हैं। अगर दोनो मे तुलना की जाये तो यह सही नही माना जा सकता। इसका कारण यह है कि दोनो की अपनी-अपनी जगह प्रधानता है। क्या हम दिन और रात की तुलना कर सकते है अगर करें तो केवल इनके गुणों का ही तुलना किया जा सकता है मेरा मानना है कि इन्हे विपरित स्थिती मे प्रदर्शित किया जा सकता है। दोनो की अपनी जगह एक विशेष महत्व है और दोनो ही अपना महत्व रखते हैं।

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