भीमराव अंबेडकर का परिवार और अंबेडकरवाद

भीमराव अंबेडकर का परिवार बड़ा था, आम्बेडकर के दादा का नाम मालोजी सकपाल था, तथा पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव कुल 14 भाई बहन थे जिनमे वे अपने माता पिता के 14 वें संतान थे। उनके 14 मे से 7 भाई बहनों की मृत्यु बचपन मे ही हो गई थी, यही कारण है कि कहीं कहीं इनकी संख्या 7 बताई जाती है।

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इस प्रकार वे चार बहंने और तीन भाई थे। भाईयों के नाम बालाराम, आंनदराव, भीमराव (स्वंय बाबासाहब) बहनों के नाम गंगाबाई, रमाबाई, मंजुला, और तुलसा थीं। 1896 में अंबेडकर जब पांच वर्ष के थे तब उनकी मां की मृत्यू हो गई। इसलिए कुछ समय के लिये उनकी बुआ मीराबाई ने उन्हे संभाला।

मीराबाई ने उसके बच्चों के देखरेख के लिये जो कि रामजी की बड़ी बहन थी दूसरी शादी करने के लिये कहा जीसके कहने पर रामजी ने जीजाबाई से दूसरा विवाह कल लिया। बालक भीमराव जब पांचवी कक्षा पढ़ाई कर रहे थे, ठीक उसी समय उनकी शादी रमाबाई से कर दी गई।

रमाबाई और भीमराव कं पांच बच्चे हुए जिनमें चार बेटे एवं एक बेटी थी, जिनके नाम यशवंत, गंगाधर, रमेश, राजरत्न और इन्दु थी। इनमे से चार बच्चों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी केवल एक बेटा जिसका नाम यषवंत था वही बचा।

आगे चलकर यशवंत के भी चार संताने हुई जिनके नाम प्रकाश, भीमराव, रमाबाई, तथा आनंदराज थे। डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी ने 15 अप्रैल सन् 1948 को डॉ. शारदा कबीर से दूसरा विवाह किया जो की पेषे से एक डाॅक्टर थीं। इन्होने शादी के बाद अपना नाम बदल कर सविता अंबेडकर रख लिया था।

अंबेडकरवाद

अंबेडकरवाद बाबासाहब के विचारों पर चलना तथा उनका अनुशरण करना है। भीमराव अंबेडकर जी के सिध्दातों के अनुरुप स्वतंत्रता, समानता, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, सत्य, अहिंसा, मानवतावाद, भाईचारा इत्यादि को इसके सिध्दातों मे जोड़ा गया है।

जिसके अनुसार छुआछूत को समाप्त करना, दलित समुदाय में सामाजिक सुधार करना, बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करना, नैतिक तथा जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज की रचना तथा देश की प्रगती जैसे कई महत्वपूर्ण उद्येश्य को इसमे शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत भारतीय बौद्ध ध्वज अर्थात भीम ध्वज बनाया गया है, जिसमे जय भीम लिखा हुआ होता है।

यह अंबेडकरवादि लोगों के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला एक अभिवादन वाक्य होता है। यदि जय भीम के अर्थ की बात करें तो इसका अर्थ भीमराव अंबेडकर की जीत हो, से किया जा सकता है। इस वाक्य को अंबेडकर जी को मानने वाले एक व्यक्ति जीसका नाम बाबू लक्ष्मणराव नगराठे हरदास था उनके द्वारा इसकी शुरुआत कि गई थी।

कुछ जानकारों का मानना है कि नीला रंग अंबेडकर जी को बहुंत प्रिय था। जिसके कारण उन्होने अपने पार्टी के गठन के दौरान झण्डे मे नीला रंग का स्तेमाल किया था। उनका मानना था की नीला रंग आकाश का भी होता हैं जोकि संसार मे उसकी व्यापकता को प्रदर्शित करता है।

शायद यही कारण था कि अंबेडकर जी को नीला रंग इतना पंसद था कि वे अपने जीवन मे उपयोग होने वाले भौतिक वस्तुओं मे भी इसी रंग का चुनाव करते थे। डाॅ. भीमराव अंबेडकर की जो हम प्रतिमा देखते हैं उसमे उनके उपर जो कोट दिखाई पड़ता है वह भी नीले रंग की होती है।

बाबासाहब के द्वारा सन् 1942 में शेड्युल कास्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पाटÊ की स्थापना हो या सन् 1956 में इस पाटÊ को खत्म कर रिपब्लिकन पाटÊ ऑफ इंडिया का गठन हो उन्होने दोनो ही पार्टि मे नीले रंग के झंडे का ही इस्तेमाल किया था। यदि इस रंग की चुनाव की बात करें तो उनके द्वारा यह रंग महाराष्ट्र स्थित सबसे बड़े दलित समुदाय महार जाति के झंडे से लिया गया था।

वर्तमान समय मे देखें तो यह अशोकचक्र युक्त नीला झंडा भारत मे अंबेडकारवादि बौद्ध धर्म का प्रतिक चिन्ह बन चुका है। इसी का अनुसरण करते हुये कई राजनीतिक पार्टियों ने अपने झण्डे का रंग नीला रखा है। आज कई ऐसे पार्टियां है जो दलितों के नाम पर ही राजनीतिक पार्टियों का निर्माण कर कुछ क्षेत्रों मे नेतृत्व कर रहें हैं।

जीससे इन संगठनों मे निरंतर मजबूती आई है। परंतु कुछ जानकारों की माने तो इसमे उन लोगों को बहंुत कम लाभ मिल पा रहा है, जिनके उध्दार के लिये ऐसे पार्टियों का निर्माण किया गया है।

क्योंकि जो सुधार दिखाई दे रहा है वह समय के साथ लोगों की जागरुकता और एक दूसरे के प्रति भेदभाव के कम होने के कारण हो रहा है ना कि इन पार्टियों के कारण।

क्योंकि जब इन पर्टियों के कार्य और उनके भाषणों की ओर गौर किया जाये तो ये पूर्व मे हुये जातिगत भेदभाव को मुद्दा बनाकर आज भी इनके बिच जहर घोलने का काम कर रहें है।

हिन्दूओं द्वारा अंबेडकरवाद के विरोध का कारण

वर्तमान समय मे भारत मे कई प्रकार के ऐसे संस्थाएं है जो भारत मे हिंन्दू धर्म को मानने वाले भोलेभाले गरीब लोगों को तरह तरह का लालच देकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।

इस प्रकार यदि बौध्द धर्म की बात करें तो कई लोग डाॅ. अंबेडकर के नागपुर मे सन् 1956 के धर्मांतरण समारोह का अनुकरण करते हुये तथा इसके साथ ही मानवाधिकार एवं अभिव्यक्ति की आजादि के नाम पर जो हिंन्दू दलित समुदाय के लोग हैं, जिनके पूर्वजों पर जातिगत भेदभाव हुए थे, उसके नाम पर उन्हे बरगला कर कुछ लोग हिंन्दू धर्म से बौध्द धर्म मे परिवर्तित करने का काम कर रहे हैं।

इसके साथ ही वे बाबासाहब के 22 बिंन्दूओं के नाम पर हिंन्दू देवीदेवताओं के विरुध्द जहर घोलने का काम करते हैं। इन्ही सब कारणों से उन हिन्दुओं द्वारा अपने देवी देवताओं के बारे मे अभद्र टिप्पणी करने पर उनका विरोध करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि, इनमे खुलकर राजनीति भी होती है, इसका मुख्य कारण उनकी जनसंख्या है, जिसे वे राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये उपयोग करते हैं।

इतने वर्षों के लंबे समय के बाद भी जातिगत आरक्षण जो कि केवल दस वर्ष के लिये था, आज तक उसका लाभ दलित समुदाय के केवल कुछ लोग ही उठा पाते हैं और एक बहंुत बड़ी आबादी को इसका कोई लाभ नही मिल पा रहा है।

कुछ राजनीतिक पार्टियां इन भोलेभाले गरिब दलितों के नाम पर अपना अंबेडकरवाद का एजेंडा चलाकर उन दलितों को जिन्हे वास्तविक में लाभ मिलना चाहिये उनके भी हिस्से का हक स्वयं तथा अपने हितैसियों तक सिमित किये हुये हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि यह आरक्षण यदि जातिगत ना होकर गरिबी रेखा के अंतर्गत मिलता तो इसमे उन्ही दलितों को इसका लाभ मिल पाता जो वास्तविक मे हकदार होते।

इस प्रकार और अधिक संख्या मे उन गरिब दलितों को लाभ मिल पाता, परंतु ऐसी किसी योजनाओं का इस प्रकार के जो संगठन हैं उनके द्वारा पूर्ण रुप से विरोध किया जाता है, जिससे जो वास्तविक गरिब है उसे लाभ नहीं मिल पाता और जातिगत लाभ लेने वाले व्यक्ति अपना एजेंडा चलाते रहते है, तथा जो दलित गरिब है वह गरिब ही बना रहता है।

जीससे बहुंत से हिन्दू इनका विरोध करते हैं। कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि, जो विजन बाबासाहब जैसे महान व्यक्तित्व का था वह आज के अंबेडकरवादि विचारधारा को मानने वाले व्यक्तियों मे बिलकुल भी नहीं दिखाई पड़ती है, ऐसा प्रतित होता है कि वे बाबासाहब के नाम पर अपना स्वार्थ सिध्द करने मे लगे हैं।

वे एक प्रकार से हिन्दू और हिन्दुत्व के केवल विरोधी दिखाई पड़ते है, देष की प्रगति के लिये बिलकुल भी काई सोंच नही दिखाई देती है, इसके साथ ही अलग अलग राजनीतिक पार्टियों का इनमे प्रभाव भी दिखाई पड़ता है।

जिससे वर्तमान समय मे यह भेदभाव जातिगत भेदभाव से बदलकर विचारधारा की भेदभाव की ओर बढ़ चला है, जिस कारण कुछ हिन्दू संगठन इनका विरोध करते हैं।

भीमराव अंबेडकर की पुस्तकें व अन्य रचनाएँ

डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी बहंुत ही विद्वान और पढ़े लिखे व्यक्ति थे उन्होने अपने जीवन मे बहुंत से किताबें लिखी, कई अलग अलग क्षेत्रों मे लेख लिखे इसके साथ ही उन्होने कई प्रकार के पत्रों का भी प्रकाशन किया था, जिनका उपयोग उनके द्वारा उस समय के सामाजिक स्थिति को प्रदर्शित करने के लिये किया जा रहा था।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर एक प्रतिभाशाली लेखक थे। डाॅ. अंबेडकर जी की पढ़ाई मे बड़ी रूची थी इसके साथ ही उन्हे लेखन में भी रूची थी। जिस कारण उन्होंने मुंबई स्थित अपने घर में ही एक बड़ा पुस्तकालय का निर्माण कर लिया था, जानकारों के अनुसार कहा जाता है कि इसमे उनकी लगभग 50 हजार से भी अधिक किताबें उपलब्ध थी।

बाबासाहब एक समाज सुधारक थे और उन्होने अपने लेखों के द्वारा दलित तथा देश की विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डालने का काम किया था। डाॅ. अंबेडकर ने बहंुत से किताबें लिखी थी जिनमे बहंुत से किताबें आज भी प्रचलित हैं, उनके द्वारा जो किताबें लिखी गई हैं उनमे से कुछ के नाम इस प्रकार हैं – हू वेअर द शूद्रास?, कास्ट इन इंडिया, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध एंड हिज धम्म, इत्यादि उनके लेखों मे शामिल हैं।

उनके द्वारा यदि लिखे गये विभिन्न लेखों कि अगर बात कि जाये तो उन्होने 32 किताबें और मोनोग्राफ जिनमे 10 किताबें अधुरी थीं, 10 अनुसंधान दस्तावेज जो उन्होने किया था, इसके अतिरिक्त बहंुत सारे लेखों और पुस्तकों की उनके द्वारा समीक्षा की गई थी, 8 से भी अधिक प्रस्तावना और भविष्यवाणियां की गई थी।

इसके अतिरिक्त और भी कई रचनाएं एवं महत्वपूर्ण शोध इनके द्वारा किया गया था। इन्होने अपने अधिकतर लेख अंग्रेजी भाषा मे लिखें हैं। माना जाता है कि डाॅ. अंबेडकर जी को ग्यारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी, पालि, संस्कृत, गुजराती, कन्नड़, बंगाली, जर्मनी, फारसी, फ्रेंच, तथा मराठी जो उनकी मातृभाषा है, ये सभी भाषाएँ शामील है। इसके अलावा उन्होने कई पत्रों का भी विमोचन किया है।

बाबासाहब को ऐसा लगता था कि समाचार पत्रों के प्रकाशन से लदितों के आदोंलनो को आगे बढ़ाया जा सकता है, डाॅ. अंबेडकर जी ने अपने समाचार पत्रों को मराठी भाषा मे ही प्रकाशित किया था इसका मुख्य कारण यह था कि वे प्रारंभिक रुप से महाराष्ट्र मे ही प्रसिध्द थे।

इसके साथ ही जो वहां की जनता थी वह जादा पढ़े लिखे नहीं थे तथा अधिकाशं लोग केवल मराठी भाषा को ही समझ पाते थे, जिस कारण से उन्होने अपने पत्रिकाओं को मराठी भाषा मे ही प्रकाशित किया था। जिनके नाम कुछ इस प्रकार थे:-

1. मूकनायक - 31 जनवरी 1920 को प्रकाशित किया गया था। इसे डाॅ. अंबेडकर की पहली पत्रिका  मानी जाती है।

2. बहिष्कृत भारत - 3 अप्रैल 1924 को प्रकाशित किया गया था। यह पाक्षिक पत्रिका थी।

3. समता - 29 जून 1928 को प्रकाशित किया गया। समता का हिंदी अर्थ समानता से है।

4. जनता - 24 फरवरी 1930 को प्रकाशित किया गया था।

5. प्रबुद्ध भारत - 4 फरवरी 1956 को इसकी शुरुआत कि गई थी।

इसके अतिरिक्त डाॅ. अंबेडकर जी ने और भी कई लघु पत्र पत्रिकाओं का विमोचन किया था परंतु मुख्य रुप से इन्हे ही देखा जाता है।

भीमराव अंबेडकर के सम्मान मे किये गये कुछ महत्वपूर्ण कार्य

भीमराव अंबेडकर का जन्म भले ही एक अछूत समझे जाने वाले दलित परिवार मे हुआ था, लेकिन उन्होने अपने ज्ञान के अथाह भंडार मे अपने उन कष्टों से भरे सामाजिक अवहेलना को बड़े ही हिम्मत से इस प्रकार पार कर लिया था कि उनके सामने बड़े से बड़ा विद्वान भी बहुंत छोटा प्रतित होता था।

भले ही आज कुछ मुठ्ठी भर लोग उन्हे केवल एक समाज के नेता के रुप मे देखते हैं परंतु वास्तविकता तो यहीं है कि पूरा देश उन्हे किसी जाति विशेष के रुप मे ना देखकर देश के एक महान विभूति के रुप मे देखता है।

14 अप्रैल के दिन को डाॅ. अंबेडकर जयंती के रुप मे पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन को महाराष्ट्र के बौद्ध अपनाने वाले लोगों के द्वारा एक बड़े त्योहार के रुप मे मनाया जाता है।
जिस दिन (7 नवम्बर) अंबेडकर जी ने अपना स्कूल जाना प्रारंभ किया था, उस दिन को महाराष्ट्र सरकार द्वारा विद्यार्थी दिवस की घोषणा किया गया है,
26 नवम्बर को डाॅ. अंबेडकर के 125 वीं जयंती पर 2015 मे भारत सरकार ने अधिकारिक रुप से संविधान दिवस के रुप मे मनाने की घोषणा की जिसके बाद इस दिन को संविधान दिवस के रुप मे मनाया जा रहा है।

डाॅ. अंबेडकर जिस मकान मे अपने लिये पुस्तकालय का निर्माण किया था उसे वर्तमान समय मे महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक संग्रहालय में परिवर्तित कर उसे अंतर्राष्ट्रीय आम्बेडकर मेमोरियल के रुप में बदल दिया गया है। जिसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 14 नवम्बर 2015 को किया गया है।

भारतीय डाक विभाग द्वारा अंबेडकर जी के विभिन्न जन्मदिन (1966, 1973, 1991, 2001, 2009, 2013, 2015, 2016, 2017) के अवसरों पर उनको समर्पित डाक टिकट जारी किए तथा अन्य टिकटों पर भी चित्रित किया।

भारत सरकार द्वारा अंबेडकर जी की 100 वीं जयंती मे उनके सम्मान में 1 रुपये का सिक्का जारी किया था। इसी प्रकार 2015 में 125 वीं जयंती के अवसर पर 10 रुपये तथा 125 रुपये के सिक्के जारी किए गए थे।

देश के कई चैक चैराहों, भवनों, जगह इत्यादि का नाम डाॅ. अंबेडकर जी के नाम पर रखा गया है इसके अतिरिक्त बहुंत से जगहों पर उनके अनुयायीओं द्वारा उनके मूर्ति का अनावरण किया गया है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा सन् 2004 में अपने 200 वर्ष पुरे होने पर अपने विष्वविद्यालय से पढ़े हुये 100 सर्वाधिक ख्याति प्राप्त बुद्धिमान विद्याथÊओं की कोलंबियन अहेड्स ऑफ देअर टाइम नामक सूची में पहला नाम डाॅ. भीमराव आम्बेडकर जी का था। इसमे उनका उल्लेख आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में किया गया था।

भीमराव अंबेडकर को मिले पुरस्कार और सम्मान

डाॅ. अंबेडकर जी ने अपने जीवन काल मे इतनी सारी उपाधियां प्राप्त कि थी की यह आज के दिनों मे भी एक विद्यार्थी के लिये इतनी सारी डिग्रियां प्राप्त करना एक प्रकार से बहुंत ही कठीन कार्य है।

मरणोपरांत सन् 1990 में डाॅ. अंबेडकर के 99 वें जन्मदिवस के अवसर पर 14 अप्रैल सन् 1990 को भारत रत्न से सम्मानित करने हेतु स्वीकार किया गया था।

इसके अतिरिक्त अंबेडकर जी को कई मानद उपाधियाँ प्राप्त थीं जिनमे से कुछ प्रमुख निम्न हैं-

डाॅ. अंबेडकर को सन् 1952 में कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉज (एलएलडी) कि उपाधि दिया गया था।
डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.), 1953 उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद, भारत द्वारा दिया गया था।

भीमराव अंबेडकर को समर्पित स्मारक और संग्रहालय

डाॅ. अंबेडकर के नाम पर कई प्रसिध्द स्मारक तथा संग्रहालय का निर्माण किया गया है। जो निम्न है:-

1.  भीम जन्मभूमि – डॉ. आम्बेडकर नगर (महू), मध्य प्रदेश; आम्बेडकर की जन्मस्थली

2.  डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर वस्तु संग्रहालय – शांतिवन चिचोली गाँव (नागपुर ज़िला); यहां पर अंबेडकर जी के निजी उपयोग की वस्तुएँ रखी हैं।

3.  डॉ. आम्बेडकर मणिमंडपम – चेन्नई

4.  डॉ. आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक – 26 अलीपुर रोड, नई दिल्ली

5.  आम्बेडकर मेमोरियल पार्क – लखनऊ, उत्तर प्रदेश

6.  डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर सामाजिक न्याय भवन – महाराष्ट्र; राज्य के लगभग हर जिले में बनी सरकारी वास्तु

7.  डॉ.बी.आर. अंबेडकर मेमोरियल पार्क ( डॉ.बी.आर. अंबेडकर स्मृति भवन) अमरावती, आंध्र प्रदेश; यहां आम्बेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया है।

8.  डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक (स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी) – मुंबई, महाराष्ट्र; यहां आम्बेडकर की 450 फीट ऊंची प्रतिमा बनाया गया है।

9.  डाॅ बाबासाहेब अंबेडकर संग्रहालय और स्मारक – पुणे, महाराष्ट्र; राष्ट्रीय संग्रहालय

10.  डाॅ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा – कोयासन विश्वविद्यालय, जापान

11.  चैत्यभूमि – मुंबई, महाराष्ट्र; आम्बेडकर की समाधि स्थली

12.  डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर स्मारक – लंदन, युनायटेड किंग्डम; लंदन में पढाई के दौरान जहां अंबेडकर जी ने रहकर अपनी पढ़ाई की थी।

13.  राजगृह – दादर, मुंबई, महाराष्ट्र; अंबेडकर जी का घर

14.  भारतरत्न डाॅ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक – ऐरोली, मुंबई, महाराष्ट्र

15.  डाॅ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर – दिल्ली

16.  भारत रत्न डाॅ. बाबासाहेब अंबेडकर मुक्तिभूमि स्मारक – येवला, नासिक जिला, महाराष्ट्र; इसी जगह पर अंबेडकर द्वारा धर्म परिवर्तन की घोषणा की गई थी।

17.  दीक्षाभूमि नागपुर, महाराष्ट्र; यहीं पर अंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म कबूल किया था।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर एवं संविधान से संबंधित प्रश्न जो लोग पूछते हैं

अंबेडकर ने शिक्षा के बारे में क्या कहा?

डाॅ. अंबेडकर एक दलित समुदाय से आते थे और उन्हे जो कुछ भी ओहदा प्राप्त हुआ था उसका कारण केवल शिक्षा थी, जिस वजह से उनसे अधिक शिक्षा का महत्व और कोई नहीं समझ सकता था जिसके कारण शिक्षा के संदर्भ मे उनका कहना था कि, शिक्षा के बिना मनुष्य न शांति पा सकता है और न मनुष्यता।

क्या अंबेडकर बौध्द बन गये थे?

डाॅ. अंबेडकर जी ने धर्म परिवर्तन की घोषणा 14 अक्टूबर 1956 मे सार्वजनिक रुप से बौध्द धर्म अपनाने के 20 वर्ष पूर्व ही कर दिया था परंतु उन्होने इस बीच अन्य प्रमुख धर्मों का भी अध्ययन किया और उनकी भली भांति जंाच पड़ताल की। परंतु कुछ जानकारों का यह मानना है कि, उनके द्वारा धर्म परिवर्तर की घोषणा इस उम्मीद से कि गई थी की सायद कुछ मुठ्ठी भर सवर्णं समुदाय के लोग भी दलितों को वह सम्मान देना आरंभ कर दे परंतु इतने लंबे समय के बाद भी उनका हृदय अपने दलित, दबे कुचले भाईयों के लिये नही पसिजा जिससे उन्होने 1956 मे सार्वजनिक रुप से अपने विषाल समर्थकों के साथ धर्म परिवर्तन कर लिया था।

अंबेडकर का पहला नाम क्या है?

डाॅ. भीमराव रामजी अंबेडकर का बाल्यकाल के समय इनका नाम भिवा, भीम अथवा भीमराव से पूकारा जाता था।

अंबेडकर को बाबासाहेब नाम किसने दिया था?

डाॅ. अंबेडकर जी को उनके अनुयायीओं द्वारा बाबासाहेब नाम दिया गया है, क्योंकि वे उन्हे पितातुल्य मानते हैं। जिसमे मराठी मे बाबा का अर्थ पिता तथा साहेब एक आदरणीय वाक्य है,

सबसे बड़ा संविधान कौन सा है?

सबसे बड़े संविधान की अगर बात करें तो भारत का संविधान विष्व के किसी भी देष के लिखित संविधान से बड़ा है, जिसमें उसके अंग्रेजी भाषी संस्करण में 146385 शब्द हैं। जिसके अंतर्गत 22 भाग 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं।

भारत मे कुल कितने संविधान है?

हमारे भारत मे एक संविधान है जिसमे 22 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।

संविधान का पूरा अर्थ क्या है?

किसी भी राष्ट्र, राज्य या सामाजिक समूह के लिये उसका संविधान उसका हृदय के समान होता है, जो उसके मूल सिध्दांत तथा कानून जो उस सरकार की शक्ति और कर्तव्यों का निर्धारण करता है संविधान कहलाता है। इसमें लोगों को कुछ विषेषाधिकार दिये जाते हैं।

मूल अधिकार कितने है?

संविधान मे वर्तमान समय में छः मौलिक अधिकार दिये गये है जो इस प्रकार हैं:- 1 समानता का अधिकार 2 स्वतंत्रता का अधिकार 3 शोषण के विरुध्द अधिकार 4 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार 5 संस्कृति और शिक्षा का अधिकार 6 संवैधानिक उपचारों का अधिकार उक्त मौलिक अधिकार पूर्व मे सात थे जिसमे से संपत्ती के अधिकार को संविधान मे संशोधन कर समाप्त कर दिया गया है।

संविधान सभा के अध्यक्ष कौन है?

संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रारुप समिति के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर, संवैधानिक सलाहकार बी. एन. राव, उपाध्यक्ष हरेन्द्र कुमार मुखर्जी एवं वी. टी. कृष्णमचारी जी थे।

संविधान के हर पन्ने पर किसका नाम है?

संविधान को लिखने वाले श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी का कहला था कि, संविधान के हर पन्ने पर मैं अपना नाम लिखूंगा और आखिरी पन्ने पर मैं अपने दादा जी के नाम के साथ अपना नाम लिखूंगा।

सबसे छोटा संविधान किसका है?

विष्व का सबसे छोटा संविधान मोनाको देश का संविधान है जो दुनिया का सबसे छोटा संविधान के रुप मे जाना जाता है। यहां का संविधान इतना छोटा है कि, इस संविधान में केवल तीन पेज है जिसमे 33 लेख और 3814 शब्द उपलब्ध हैं।

संविधान पर हस्ताक्षर करने वाला अंतिम व्यक्ति कौन था?

भारतीय संविधान पर अंतिम रुप से हस्ताक्षर डाॅ. राजेंद्र प्रसाद जी ने किया था। तथा संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले व्यक्ति जवाहर लाल नेहरु थे।

झंडा समिति के अध्यक्ष कौन है?

जब लाॅर्ड माउंट बेटन द्वारा भारत की स्वतंत्रता की घोषण की गई ऐसे समय मे उस समय उपस्थित सभी दलों को एक भारतीय ध्वज की आवष्यकता हुई जिस कारण स्वतंत्र भारत के लिए राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया जिसे ध्वज समिति कहा गया और इसकी अध्यक्षता डाॅ राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा किया गया।

भारतीय संविधान मे कितने भाग हैं?

भारतीय संविधान में कुल 22 भाग उपलब्ध हैं।

संविधान का मुख्य कार्य क्या है?

किसी भी देश का संविधान उसका मौलिक कानून होता है जो सरकार के सभी प्रकार के कार्यों की रुपरेखा तथा उसके कार्यों का निर्धारण करता हैं। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था जिसमें 22 भाग 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियों के साथ इसे विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने का श्रेय प्राप्त है।

संविधान को बनाने मे कितना खर्च हुआ?

कुछ जानकारों के अनुसार संविधान को बनाने मे शुरुआत से अंत तक इसके निर्माण कार्य मे 6396729.00 रुपये खर्च हुए थे।

छुआछूत कब बंद हुआ?

छुआछूत के संबंध मे संसद ने सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम अस्पृश्यता के अन्मूलन के लिये अस्पृश्यता अधिनियम 1955 पारित किया गया। इसके पश्चात सन् 1976 में इसका संशोधन करके इसका नाम सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम कर दिया गया।

छुआछूत का अंत कब किया गया?

देश में अस्पृश्यता प्रथा को सन् 1950 में समाप्त कर दिया गया था। इसके अतिरिक्त उनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को 10 वर्षों के लिये सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी दिया गया था। नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम ने 1955 में अस्पृश्यता प्रथा के चलन और प्रचार को दंडनीय अपराध की श्रेणी मे ला दिया था।

भीमराव अंबेडकर ने संविधान कितने घंटे मे लिख था?

डाॅ. भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान नहीं लिखा गया था संविधान को लिखने का श्रेय श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को है, परंतु अंबेडकर जी संविधान के प्रारुप समिति के अध्यक्ष थे जिस कारण संविधान का अंतिम कार्य उन्ही का था इसमे अंबेडकर जी को कुल 2 साल,11 माह तथा 18 दिनो का समय लगा था।

संविधान बनाने मे किसका किसका हाथ था?

भारत के संविधान निर्माण में संविधान सभा के सभी सदस्यों का योगदान था इनमे मुख्य रुप से संविधान सभा की प्रारुप समिति के अध्यक्ष होने के नाते डाॅ. अंबेडकर को संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, परंतु इसमे डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरु, मौलाना अबुल कलाम आजाद की भी इतनी ही अथवा इससे भी अधिक भूमिका थी, सच्चिदानंद सिन्हा इसके तात्कालिक प्रथम सभापति थे तथा भारत के इस संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से इसे लिखा था।

अंबेडकर कौन सी जाती है?

डाॅ. अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था। पंरतु उनका अंबेडकर उपनाम मराठी ब्राम्हणों का है।

क्या अंबेडकर की दो पत्नियां थी?

डाॅक्टर भीमराव अंबेडकर की दो पत्नियां हुई थी उनकी पहली पत्नी रमाबाई का लंबी बिमारी के चलते निधन हो गया था जिसके लंबी अवधी के बाद उन्होने डाॅक्टर कबीर से दूसरी शादी की उनकी दूसरी पत्नी ने शादी के बाद अपना नाम सविता रखा, जो पेशे से एक डाॅक्टर थीं।

अंबेडकर का दूसरा नाम क्या है?

डाॅ. भीमराव रामजी अंबेडकर का दूसरा नाम बाबासाहब अंबेडकर था। जो उनके समर्थकों के द्वारा दिया गया नाम था।

भारत मे सबसे ज्यादा डिग्री किसके पास है?

वर्तमान समय मे यदि बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा डिग्री श्रीकांत जिचकर के पास है जिन्हे 42 विश्वविद्यालयों से 20 डिग्रियां प्राप्त है।

अंबेडकर ने शिक्षा के बारे मे क्या कहा?

अंबेडकर जी का विचार शिक्षा के बारे मे बड़ा ही सहज था उनका कहना था कि, शिक्षा के बिना मनुष्य न शांति पा सकता है और न मनुष्यता। इसका एक कारण यह भी था की उन्हे जो लोगों के द्वारा सम्मान और आदर दिया गया वह उसी शिक्षा के कारण था।

सबसे कठोर संविधान किसका है?

विश्व मे सबसे कठोर संविधान के रुप मे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान को जाना जाता है। ऐसा मानने का मुख्य कारण यह है कि, अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के द्वारा जिस प्रक्रिया के आधार पर कानूनों का निर्माण किया जाता है उसी प्रक्रिया के आधार पर संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है।

विश्व का पहला संविधान किसने लिखा था?

विश्व में सर्वप्रथम लिखित संविधान की बात करें तो यह संयुक्त राज्य अमेरीका का संविधान है, इसका निर्माण 1787 में कर लिया गया था।

सबसे लंबा लिखित संविधान क्या है?

सबसे लंबा अथवा बड़ा लिखित संविधान का श्रेय भारत के संविधान को दिया जाता है जिसमे 22 भाग, 395 अनुच्छेद, 12 अनुसुचियां हैं।

अंबेडकर ने संविधान क्यों लिखा?

अंबेडकर जी के संविधान निर्माण के लिये चुनाव के पिछे कई विशेषज्ञों का मानना है कि संविधान सभा में बाबा साहेब का चयन उनके सबसे ज्यादा शिक्षित होने, प्रशासनिक रुप से उनकी दक्षता और राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ था। लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि, भले ही अंबेडकर और महात्मा गांधी जी के मध्य कुछ ठीक नही चल रहा था परंतु इसमे गांधी जी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

अंबेडकर कितने घंटे सोते थे?

बाबासाहब अंबेडकर जी को लगातार काम करने के कारण कई प्रकार की शारिरिक समस्या उत्पन्न हो गई थी उनमे से एक अनिन्द्रा भी था, वे इस समय 18 घंटे पढ़ाई और काम मे देते थे तथा बांकी के घंटे अपने दैनिक गतिविधियों और सोने के लिए देते थे। एक समय ऐसा भी था जब बाबासाहब 8 साल का कोर्स 3 साल से भी कम समय मे पूरा करने के उद्येष्य के साथ प्रतिदिन 21 घंटे पढ़ाई करते थे।

छुआछूत मे कौन सा धारा लगता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 147 के तहत जातिवाद के आधार पर होने वाली छुआछुत या अस्पृष्यता के भेदभाव को गैर संवैधानिक माना गया है। तथा इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी मे लाया गया है।

भारत में दलितों की संख्या कितनी है?

यदि दलितों कि बात करें तो यह सभी धर्मो में मौजूद है। परंतु वर्तमान समय में जिनको दलित माना जाता है उनमें कुछ वर्गों को पूर्व में अछूत माना जाता था। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार देष की लगभग 16.6 प्रतिषत या 20.14 करोड़ जनसंख्या दलितों की श्रेणी मे आती है।

संविधान की जननी कौन है?

संविधान की जननी के रुप में ब्रिटिश संविधान को माना जाता है, इसका मुख्य कारण है इसका सबसे पुराना होना, जिससे वर्तमान समय मे जो लिखित संविधान का निर्माण किया गया है उन संविधानों के लिए इसने मार्गदर्शक का काम किया है।

अंबेडकर ने कितनी डिग्री की है?

डाॅ. अंबेडकर अपने जमाने में भारत के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने मुंबई स्थित एलफिंस्टन नामक काॅलेज से बीए की डिग्री प्राप्त किया था। इसके बाद उन्होने कोलंबिया विष्वविद्यालय और लंदन स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक्स से पीएचडी की डिग्री ली। उनके पास और भी बहुंत से डिग्रियां थी।

भारत के संविधान मे कितने शब्द हैं?

भारत के संविधान मे उसके अंग्रेजी भाषी संस्करण में 146385 शब्द हंै।

दलित गरीब क्यों होते हैं?

वर्तमान समय मे यदि देखा जाये तो गरीबी का किसी जाती वर्ग से होना आवष्यक नहीं है। आज के समय मे दलितों में भी इतने धनवान लोग हैं जो एक सवंर्ण से भी अधिक धनवान हैं। वास्तव मे गरीबी का मुख्य कारण बेरोजगारी, अवसर के अभाव तथा आलस को माना जा सकता है।

अंबेडकर का पूरा नाम क्या हैं?

अंबेडकर जी का पूरा नाम डाॅ. भीमराव रामजी अंबेडकर है तथा इनके बचपन का नाम भिवा, भीम, भीमराव था।

संविधान को कहां रखा गया है?

भारत के संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर स्थित सेंट्रल लाइबे्ररी में रखी गई है।

भारत का संविधान कितने पेज का है?

वर्तमान समय के अनुसार 2021 तक भारतीय संविधान में सामान्य फाॅन्ट में कुल 448 पृष्ठ हैं। भारत के संविधान मे कुल 117369 शब्द है।

संविधान मे अनुच्छेद क्या है?

यदि हिंदी भाषा के अनुसार अनुच्छेद का अर्थ निकाला जाये तो यह एक प्रकार से लेखन का एक सुव्यवस्थित रचना है, परंतु संविधान मे अनुच्छेद को धाराएं कहते हैं जिसमे क्रम अनुसार विभिन्न अनुच्छेदों में अलग अलग विषयों को क्रमबध्द किया गया है।

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