स्वयं की सहायता – ESSAY IN HINDI

स्वयं की सहायता - ESSAY IN HINDI

अपने कर्म के अनुरुप ईश्वर ने किसी पर भी भेद भाव नही किया है, बशर्ते की स्वयं की सहायता कैसे करें यह पता होनी चाहिए। ईश्वर ने हम सभी को अपना स्वयं का राजा बनने के लिए इस धरती पर भेजा है परंतु हम प्रमोद में भरकर अपने उज्ज्वल भविष्य को अंधकार में धकेल देते … Read more

स्वावलंबी – ESSAY IN HINDI

स्वावलंबी - ESSAY IN HINDI

वर्तमान समय मे दुनिया के बारे मे तो कुछ समझ ही नही आता की क्या चल रहा है, आज का जमाना मनुष्य को स्वावलंबी बनाने की जगह परावलंबी बना रहा है। इसके संबंध मे यह है कि आज या तो एक मनुष्य दूसरे मनुष्य की सेवा का गुलाम बन गया है या फिर मशीन का। … Read more

स्वयं पर विश्वास – ESSAY IN HINDI

स्वयं पर विश्वास - ESSAY IN HINDI

किसी व्यक्ति के आगे चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियाँ क्यों न हों परंतु अपनी शक्ति को सर्वश्रेष्ठ रुप में उपयोग करने वाले लोगों की कार्यक्षमता के सतत स्पंदन तथा सन्निष्ठ प्रयत्नों में भाग्य कहीं आड़े नहीं आता और यह तभी संभव है जब स्वयं पर विश्वास हो। स्वयं को निराधार एवं निरुपाय मानना आत्मिक कायरता … Read more

जीने की कला – ESSAY IN HINDI

जीने की कला - ESSAY IN HINDI

राजु एक शहर से बाहर घुमने के लिए गया था। उसके मन में कुछ प्रश्न था मुलतः देखें तो उसे जीने की कला का ज्ञान नहीं था। ऐसे में वह एक बार एक धर्माचार्य के समक्ष जो छोटा सा कारखाना चलाना चाहता था, उसने अपनी विवशता के बारे में बताते हुए कहा की बाबा जी! … Read more

दुःख मे सयंम – ESSAY IN HINDI

दुःख मे सयंम - ESSAY IN HINDI

शिक्षण अर्थात् प्रत्येक परिस्थिति में मन को प्रसन्न रखने का पूर्वाभ्यास, जो दुःख मे सयंम रखने के लिये बल देता है, एक रिहर्सल, जो इस संसार में एक मनुष्य के भांति जीने के लिए काम में आता है। मनुष्य को यदि किराए के लोगों की सहायता से हंसना पड़े तो यह इस बात का प्रतिक … Read more

क्रुरता की हद – ESSAY IN HIN

क्रुरता की हद - ESSAY IN HIN

क्या करें भाई, जब भाग्य ही क्रूर हो जाय तो आखिर किससे शिकायत करें? दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। आखिर क्रुरता की हद होती है, अब जब आसमान ही फट गया हो तो उस पर थेगली लगाई जा सकती है क्या? ऐसे मे क्या किया जा सकता है जब खुद के उपर बादल गिर … Read more

शुध्द आचरण – ESSAY IN HINDI

शुध्द आचरण - ESSAY IN HINDI

मनुष्य यदि भोग के स्थान पर त्याग अधिकार के स्थान पर कर्त्तव्य राग के स्थान पर वैराग्य आसक्ति के स्थान पर अनासक्ति तथा ममत्व के स्थान पर समत्व अपना ले इस प्रकार शुध्द आचरण से ही उसका सहअस्तित्व सलामत रह सकता है। और केवल सहअस्तित्व ही नहीं वरन सहिष्णुता सम्पन्न सहअस्तित्व ही परिवार तथा देश … Read more

पुरुष की मर्यादा – ESSAY IN HINDI

पुरुष की मर्यादा - ESSAY IN HINDI

गाँव मे रहने वाले तीन लोगो के बिच किसी बात को लेकर दुष्मनी थी तीनो एक बार एक मंदिर में मिले उनमे से दो दुश्मन अचानक ही एक दूसरे से टकरा गये। दोनांे ही अपनी-अपनी दुश्मनी की वसूली के लिए उत्तेजित हो गए यह उस पुरुष की मर्यादा ही थी। परंतु मंदिर में भगवान के … Read more

आओ मेरी निंदा करो – ESSAY IN HINDI

आओ मेरी निंदा करो - ESSAY IN HINDI

आओ मेरी निंदा करों निबंध में ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताने का प्रयास किया गया है जो अपने निंदा करने की अवगुण को अपना गुण मान लेते हैं। संसार में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो किसी की उपस्थिति में उसके लिए बहुत सोने जैसे सुंदर वचन कहते हैं और उसकी उनुपस्थिति में … Read more

निंदा एक विलक्षण प्रतिभा – ESSAY IN HINDI

निंदा एक विलक्षण प्रतिभा - ESSAY IN HINDI

इसकी क्या हैसियत है कि मेरे जैसे इंसान की बुराई करें? यह एक व्यक्ति का आक्रोश भरा प्रतिभाव था। जो की अपने बातों से आक्रोश को व्यक्त कर रहा है। उसके इस वक्तव्य से दूसरे व्यक्ति का – नामर्द है सामने कहने की तो हिम्मत है नहीं इसलिए पीठ पीछे बुरा-भला कहता हैं। दूसरे व्यक्ति … Read more