क्रुरता की हद – ESSAY IN HIN

क्रुरता की हद - ESSAY IN HIN

क्या करें भाई, जब भाग्य ही क्रूर हो जाय तो आखिर किससे शिकायत करें? दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। आखिर क्रुरता की हद होती है, अब जब आसमान ही फट गया हो तो उस पर थेगली लगाई जा सकती है क्या? ऐसे मे क्या किया जा सकता है जब खुद के उपर बादल गिर … Read more