चिंता चिता समान है – ESSAY IN HINDI
चिंता चिता के समान है परंतु क्या कंरु भाई मेरा तो स्वभाव ही वैसा है। मैं तो एक पल के लिए भी चिंता से मुक्त नहीं रह पाता। मुझे तो चिंता ऐसे चिपकी रहती है जैसे किसी को कोई भूत-प्रेत चिपक जाता है। और भाई अगर जिंदा आदमी जीवन के लिए चिंता नहीं करेगा तो … Read more