जीने की कला – ESSAY IN HINDI
राजु एक शहर से बाहर घुमने के लिए गया था। उसके मन में कुछ प्रश्न था मुलतः देखें तो उसे जीने की कला का ज्ञान नहीं था। ऐसे में वह एक बार एक धर्माचार्य के समक्ष जो छोटा सा कारखाना चलाना चाहता था, उसने अपनी विवशता के बारे में बताते हुए कहा की बाबा जी! … Read more